नई दिल्ली। अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं तो अगले कुछ दिन आपको घने स्मॉग का सामना करना पड़ सकता है। सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट CSE की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सीजन में पहली बार धुंध की एक मोटी चादर अगले सात दिनों तक पूरे इंडो गैंजेटिक प्लेन में देखी जाएगी। इस धुंध का प्रमुख कारण दिवाली पर जलाए गए पटाखे और पराली जलाने से निकला धुआं और बदलता मौसम है। इस साल पिछले चार सालों में पराली का धुंआ सबसे कम दर्ज किया जा रहा है।
दिल्ली और एनसीआर में दर्ज किए जाने वाली धुंध में PM 2.5 के अलावा बड़े पैमाने पर ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड सहित जहरीली गैसों का घातक मिश्रण दर्ज किया जा रहा है। 2017 के बाद से दिवाली की रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक हवा में पीएम 2.5 का स्तर सबसे अधिक रहा। वहीं हवा में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का अनुपात भी काफी अधिक रहा है, जो पटाखों के प्रभाव को दर्शाता है।
सीएसएई के मुताबिक हवा में घने स्मॉग को देखते हुए तुरंत आपातकालीन कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि प्रदूषण को और अधिक बढ़ने से रोका जा सके। वहीं सरकारों को एक दीर्धकालिक पॉलिसी अपनाने की भी जरूरत है।
दिल्ली की हवा में PM 2.5 का औसत स्तर 250 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक बना हुआ है। 05 नवम्बर को हवा में PM 2.5 का स्तर 501 माइम्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया था। मानकों के तहत हवा में PM 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। 8 नवम्बर तक हवा में PM 2.5 का स्तर घट कर 256 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक आ गया। लेकिन अब भी ये खतरनाक स्तरों के ऊपर बना हुआ है।
इस साल आठ नवम्बर को हवा में पराली के धुएं का स्तर पिछले चार सालों में सबसे कम दर्ज किया गया। इस साल आठ नवम्बर को हवा में इसका स्तर 12 फीसदी रहा। 2020 में हवा में इसका स्तर 17 फीसदी था। वहीं 2019 में 14 फीसदी और 2018 में 16 फीसदी था।