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‘आजीवन प्रतिबंध पर संसद को गौर करना चाहिए, अदालत को नहीं’, खिलाफ आपराधिक मामलों पर बोले CJI


  • सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमों को तेजी से निपटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई. चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमणा ने लंबित मामलों को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने अधिकतर मामलों में रोक लगा रखी है. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी क्यों नहीं हाई कोर्ट से रोक हटाने की मांग करती है या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही हैं.

चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमणा ने नाराजगी जताते हुए आगे कहा कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों में 10 से 15 साल के लिए आरोपपत्र दाखिल ना करने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि सिर्फ प्रॉपर्टी अटैच करने से कुछ नहीं होगा, जांच लंबित रखने का कोई कारण नहीं है.

केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की जांच पूरी करने के लिए जांच एजेंसियों पर समय सीमा तय करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “कोर्ट के दखल से चीजें सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही हैं. आप हाई कोर्ट को इसमें तेजी लाने का निर्देश दे सकते हैं”

इस पर सीजेआई ने कहा, “हमने पहले ही उच्च न्यायालयों को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का निर्देश दिया है. जांच एजेंसियां ​​आगे बढ़ सकती हैं और जांच पूरी कर सकती हैं.” सीजेआई ने कहा कि ढांचागत सुविधाओं के आभाव है, इस पर एसजी जवाब स्पष्ट करें.

सीजेआई एनवी रमणा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने वकील विकास सिंह ने कहा कि यदि कोई नेता गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता हैं तो उसे सजा के बाद 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. इस मुद्दे पर आपको विचार करने की जरूरत है. इस पर सीजेआई ने कहा, “आजीवन प्रतिबंध एक ऐसी चीज है जिस पर संसद को गौर करना चाहिए, अदालत को नहीं.”