नई दिल्ली,। जम्मू-कश्मीर के हैदरपोरा में सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में मारे गए आतंकी अमीर माग्रे का शव कब्र से बाहर निकालने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है। आमिर के पिता लतीफ ने याचिका दाखिल कर मांग की थी कि विधिवत अंतिम संस्कार के लिए उसके बेटे के शव को निकालने की मंजूरी दी जाए।
सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बीएस पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि शव के विघटन का आदेश तब तक नहीं दे सकते, जब तक यह न दिखे कि इससे न्याय का हित हो रहा है। आमिर नवंबर 2021 में दो साथियों के साथ एनकाउंटर में मारा गया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि एक बार दफनाने के बाद शरीर को कब्र से नहीं निकालना चाहिए। जम्मू-कश्मीर से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार मृतक को पूरे विधि-विधान के साथ दफनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि मृतक के शरीर को उचित रूप से दफन नहीं किया गया है यह तथ्य पूर्ण रुप से गलत है।
बेंच ने कहा पिता की भावनाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन अदालत भावनाओं के आधार पर मामलों का फैसला नहीं कर सकती है। जम्मू-कश्मीर उच्चन्यायालय का फैसला न्यायसंगत है । कोर्ट ने मोहम्मद लतीफ माग्रे द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि परिवार को मुआवजे के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करें और उन्हें कब्र पर नमाज़ अदा करने की भी अनुमति दें।
सुनवाई के दौरान, जम्मू-कश्मीर प्रशासन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि मृतक एक आतंकवादी था। उसका अंतिम संस्कार इस्लामी रीति-रिवाज के अनुसार ही हुआ था। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वकील ने कहा कि आठ महीने बीत गए, शरीर सड़ चुका होगा और अब शव को निकालने से कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होगी। जम्मू और कश्मीर प्रशासन की ओर से वकील तरुना अर्धेंदुमौली प्रसाद उपस्थित थे। माग्रे ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने उनके बेटे के शरीर को निकालने की अनुमति नहीं दी थी। पिछले साल 15 नवंबर को श्रीनगर के बाहरी इलाके में हुई मुठभेड़ में आमिर माग्रे समेत चार लोग मारे गए थे। याचिका अधिवक्ता नुपुर कुमार के माध्यम से दायर की गई थी।