राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भूमि और समुद्री सीमाओं की भूमिका बहुत बड़ी होती है। मगर इन जगहों पर चौकसी को और बढ़ाए जाने की जरूरत है। चूकि इन दोनो स्तरों से ही हम बाहरी देशों के साथ रणनीतिक, व्यापार सहित और भी कामो के के लिए जुड़ते हैं।
बदलते भू-राजनितिक परिदृश्य पर डोभाल ने कहा कि, कभी शांति का प्रतीक रहा हिंद महासागर अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा बनता जा रहा है। ऐसे में भारत को चाहिए कि, वह हिंद महासागर जैसी संपत्ति को बचाने के लिए अपने सुरक्षा के इंतजाम को पुख्ता करे। चूकि आने वाले समय में वैश्विक जंग के केन्द्र समुद्र ही होंगे।
डोभाल ने कहा कि समुद्री खतरों से निपटने के मामले में एक उदाहरण पेश करता हुआ कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन कराया गया था। चूकि पड़ोसी देशों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि, आपदा हो या सुरक्षा संकट हम उनके साथ खड़े रहेंगे। डोभाल ने कहा कि भारत जितने का हकदार है उतना उसे मिलना चाहिए और उसे हासिल करने का यह उपयुक्त समय है।