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कृषि और डिजिटल इकोनामी के लिए GST Council जैसी संस्था से कितना फायदा? क्या होंगे बदलाव


नई दिल्ली, । 15वीं फाइनेंस कमीशन के चेयरमैन एनके सिंह का कहना है कि जिस तरह जीएसटी के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए जीएसटी परिषद का गठन किया गया है, उसी प्रकार देश के अन्य सेक्टर जैसे डिजिटल इकोनामी और कृषि के लिए परिषदों का गठन किया जाना चाहिए।

दिल्ली में सीसीआई ग्लोबल इकोनामिक पॉलिसी शिखर सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश के नेट जीरो कार्बन के लक्ष्य को पाने के लिए सभी राज्यों का सक्रिय रूप से भाग लेना जरूरी है। जीवाश्म ईंधन से रिन्यूएबल एनर्जी में ट्रांजिशन के लिए एक ‘की प्रायोरिटी एरिया’ सेट करना होगा। इसके साथ ही सभी राज्यों के सक्रिय रूप से भागीदारी के लिए एक तंत्र भी तैयार करना आवश्यक है।

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80 प्रतिशत निर्यात छह राज्यों से

सिंह ने आगे कहा कि देश का 80% से ज्यादा निर्यात केवल 6 राज्यों से होता है, जबकि बाकी के 22 राज्यों की हिस्सेदारी ना के बराबर हैं। इन राज्यों से निर्यात को बढ़ाने के लिए काम करना होगा। देश के पूर्वोत्तर राज्यों से निर्यात बढ़ने की काफी सारी संभावनाएं हैं।

शहरीकरण विकास का अगला इंजन

उन्होंने शहरीकरण को देश के विकास का अगला इंजन बताया। शहरी निकायों के लिए प्रॉपर्टी टैक्स राजस्व का एक महत्वपूर्ण जरिया हो सकता है। इसके साथ उन्होंने सुझाव दिया कि यूनाइटेड ग्रांट्स की जगह पंचायतों को टाइड ग्रांट्स उपलब्ध कराई जाए, जो कि देश की प्राथमिकताओं के आधार पर हों।

 

कृषि आय पर लगे आयकर

इससे पहले देश के पूर्व राजस्व सचिव तरुण बजाज ने गुरुवार को कहा था कि देश में कृषि आय पर भी टैक्स लगाना चाहिए। अगर कोई किसान आयकर में दी गई छूट की सीमा से अधिक आय एक वित्त वर्ष में अर्जित करता है, तो उस पर आयकर लगना चाहिए। मौजूदा समय में कृषि से होने वाली आय को आयकर छूट के दायरे में रखा गया है।