नई दिल्ली, पाकिस्तान का करतारपुर गलियारा एक बार फिर सुर्खियों में है। खासकर भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंधों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या धार्मिक लिहाज से खोले जा रहे करतारपुर गलियारों से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल सकती है। इसके खोले जाने से भारत और पाक के रिश्तों पर क्या असर होगा ? आखिर पाकिस्तान में इसकी दिलचस्पी क्यों है ? क्या है इसके बड़े निहितार्थ ?
क्या सुधरेंग भारत-पाक रिश्ते
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत-पाक संबंधों की गुत्थी जटिल है। दोनों देशों की कूटनीतिक रिश्तों की डोर बहुत कमजोर है। ऐसे में करतारपुर गलियारे के खुल जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों में एक सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे दोनों देशों के नागरिकों के मध्य संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। इससे दोनों देशों के लोगों में प्रेम और सहानुभूति का एक नया मार्ग प्रशस्त होगा। इससे भविष्य में दोनों देशों को अपने कूटनीतिक रिश्तों को सुधारने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब से जुडेंगा, जो दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक रिश्ते मजबूत करने का एक नया अवसर होगा।
2- उन्होंने कहा कि यह गलियारा भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक कड़ी साबित हो सकता है। इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसकी वजह यह है कि दोनों देशों के ज्यादा से ज्यादा तीर्थयात्री पूरे वर्ष पवित्र तीर्थ यात्रा करेंगे। करतारपुर कारिडोर भारत के सीमावर्ती जिले गुरदासपुर को पाकिस्तान के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब से जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच तमाम मतभेदों के बावजूद करतारपुर को लेकर हो रही वार्ता पर इसका प्रभाव नहीं दिखा। यह इस बात की ओर संकेत करता है कि यह कारिडोर भारत-पाक के लिए कितना अहम है।
3- प्रो पंत ने कहा कि जम्मू कश्मीर, आतंकवाद, अनुच्छेद 370 को लेकर दोनों देशों के बीच काफी तनाव है। इसके बावजूद करतारपुर गलियारे को लेकर दोनों देशों के नियमित बैठक जारी रहीं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से जूझ रहे पाकिस्तान की आर्थिक हालत काफी तंग हो चुकी है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन के बढ़ने से आर्थिक रिश्ते आगे बढ़ेंगे। इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है। धार्मिक पर्यटन के मामले में पाकिस्तान की स्थिति भारत की अपेक्षा अलग है। पाकिस्तान में सिख धार्मिक स्थल काफी अधिक संख्या में मौजूद हैं, जबकि पाकिस्तान में आजादी के बाद पाकिस्तान में सिखों की संख्या काफी कम हो गई है।
4- भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान एक एक इस्लामिक राष्ट्र है। इस्लाम के अधिकांश पवित्र धार्मिक स्थल सउदी अरब, ईरान और इराक में हैं। ऐसी स्थिति में यदि पाकिस्तान अपने यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना चाहता है तो उसे अपने देश में मौजूद सिख धार्मिक स्थलों के विकास पर जोर देना होगा। कई वर्षों से भारत और पाकिस्तान के आर्थिक संबंध काफी खराब चल रहे हैं। करतारपुर गलियारे से दोनों देशों के व्यापारियों को उम्मीद है। इससे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में कुछ सुधार होगा। दोनों देशों में कृषि सहयोग भी बढ़ेगा और पंजाब के आलू तथा कपास उत्पादकों को लाभ मिलेगा।
जानें किन चुनौतियों पर भारत की नजर
- पाकिस्तान में आतंकवाद की सक्रियता को देखते हुए भारत से जाने वाले सिख यात्रियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में इन श्रद्धालुओं की सुरक्षा पाक के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
- पाकिस्तान द्वारा इस यात्रा के लिए ली जा रही राशि पर भारत को आपत्ति रही है। पाकिस्तान ने शुरू में इस यात्रा के लिए 20 अमेरिकी डालर का शुल्क सुनिश्चित किया था। भारत ने इसका विरोध किया था। पाक का तर्क था कि इस राशि का गलियारे के विकास में निवेश किया जाएगा।
- भारत को यह भी भय सता रहा होगा कि पाकिस्तान खालिस्तान सहानुभूति के लिए गुरुद्वारों का प्रयोग कर सकता है। पाकिस्तान अतीत में ऐसा कर चुका है। पाकिस्तान के गुरुद्वारों पर खालिस्तान के झंडे देखे गए थे। इसलिए भारत की यह चिंता जरूर होगी कि पाक अलगाववादी भारत विरोधी प्रचार फैलाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है।
- भारत को यह चिंता भी जरूर होगी कि इस गलियारे का इस्तेमाल भारत विरोधी तत्व कर सकते हैं। खासकर आतंकवादी और खालिस्तान के समर्थक इस रास्ते से भारत में प्रवेश कर सकते हैं।
करतारपुर गलियारा खोलने की राजनीतिक पहल
1- गौरतलब है कि भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब की ओर जाने वाले गलियारे को खोलने की मांग भारत द्वारा कई अवसरों पर उठाई जाती रही है। वर्ष 1999 में लाहौर की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
2- वर्ष 2000 में पाकिस्तान में सैन्य हुकूमत के दौरान तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में सिख भक्तों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए एक गलियारे के निर्माण को मंजूरी दी थी। बाद में यह अध्याय यही बंद हो गया।
3- अगस्त 2018 में जब इमरान खान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री चुना गया तो उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया और वहां से करतारपुर गलियारे का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया।
4- नवंबर 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भारतीय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2019 में श्री गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती मनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसके साथ ही गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर गलियारे के निर्माण और विकास को मंजूरी दी। भारत ने पाकिस्तान से भी आग्रह किया वह भारतीय सिख समुदाय की धार्मिक भावना का आदर करते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा से करतारपुर साहिब तक गलियारे का निर्माण करे।