मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को 2001 जया शेट्टी हत्याकांड में गैंगस्टर छोटा राजन (राजेंद्र सदाशिव निकालजे) को जमानत दे दी।
इस साल की शुरुआत में उसे दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की अगुवाई वाली डिवीजनल बेंच (Bombay High Court) ने 1 लाख रुपये की जमानत तय की।
पहले भी एक मामले में मिली राहत
पिछले साल, एक विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने राजन (Gangster Chhota Rajan bail) को मुंबई के प्रसिद्ध ट्रेड यूनियन नेता डॉ. दत्ता सामंत की हाई-प्रोफाइल हत्या की साजिश रचने के आरोप से बरी कर दिया था, जिनकी 1997 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इस कारण मिली जमानत
अदालत ने उसे ठोस सबूतों के अभाव के आधार पर बरी कर दिया। अदालत ने कहा, “इस मामले में डॉ. दत्ता सामंत की हत्या की साजिश रचने के मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।
जया शेट्टी हत्याकांड में गैंगस्टर छोटा राजन (राजेंद्र सदाशिव निकालजे) को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। इस साल की शुरुआत में ही उसे इस मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की अगुवाई वाली डिवीजनल बेंच ने 1 लाख रुपये की जमानत तय की।
क्या था जया शेट्टी हत्याकांड मामला
छोटा राजन गिरोह से जबरन वसूली की धमकियों का सामना कर रहे शेट्टी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 4 मई 2001 को गिरोह के दो सदस्यों ने होटल की पहली मंजिल पर जया शेट्टी की हत्या की थी। उधर, धमकी मिलने की सूचना के बाद होटल व्यवसायी को पुलिस ने सिक्योरिटी प्रदान की थी। हालांकि, हमले से दो महीने पहले उनके अनुरोध पर उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी।
अभी जेल से बाहर नहीं आएगा राजन
हालांकि, छोटा राजन के जल्द ही जेल से रिहा होने की संभावना नहीं है, क्योंकि वह विभिन्न शहरों में कई अन्य मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है।
डॉ. सामंत की भी हत्या का मामला
डॉ. सामंत की 16 जनवरी 1997 को पद्मावती रोड पर चार लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वह अपनी जीप में पवई से घाटकोपर जा रहे थे। हालांकि, 2000 में हत्या के लिए तीन लोगों को दोषी ठहराया गया था, लेकिन राजन का नाम मामले में वांछित आरोपियों में शामिल था। उसे 2015 में इंडोनेशिया में गिरफ्तार किया गया और मुंबई लाया गया। उसके खिलाफ सभी लंबित मामलों को फिर सीबीआई को सौंप दिया गया।