झारखंड विस्थापित संघर्ष मोर्चा ने राजभवन मार्च किया
रांची। झारखंड विस्थापित संघर्ष मोर्चा ने सोमवार को जिला स्कूल से राजभवन मार्च किया। मोर्चा ने झारखंड राज्य विस्थापित आयोग का गठन करने, जमीन वापस करने, 2013 के भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता में पुनर्वास, पुनस्थापन अधिनियम लागू करने, गैरमजरूआ जमीन की जमाबंदी रसीद काटना प्रारंभ करने की मांग को लेकर राजभवन मार्च और धरना कार्यक्रम आयोजित किया। राज्य के अन्य तरह के विस्थापितों को एक मंच पर लाने के लिये दिसंबर में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। बड़े-छोट बांध, कोयला, लोहा, बॉक्साइट, यूरेनियम खनन एवं हाथी बाघ परियोजना फील्ड फायरिंग रेंज, जलविद्युत परियोजना, थर्मल परियोजना पावर प्लांट से होनेवाले विस्थापितों के सभी संगठन को जोड़कर 2022 में विशाल रैली की जाएगी। पूर्व सांसद और भाकपा के राज्य सचिव भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि रूसी क्रांति के वर्षगांठ पर विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए यह आयोजन किया गया है। विस्थापित आयोग के गठन से हमारी जीत होगी। मौके पर डॉक्टर वासवी किड़ो ने कहा कि विस्थापित जन आयोग के बिना विस्थापन के विकास का मॉडल बनाना होगा। विस्थापितों में महिलाओं व बच्चों की बुरी स्थिति है। विस्थापित आयोग बना कर विविध का शिक्षा, स्वास्थ्य की व्यवस्था करें और 2013 कानून लागू करें। इस अवसर पर भाकपा के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि झारखंड बनने के पूर्व कई परियोजनाओं के लिए 14 लाख 98 हजार एकड़ और झारखंड बनने के बाद 7 लाख 30 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई। कोल इंडिया लिमिटेड के तीन कंपनियों सीसीएल, बीसीएल और ईसीएल के 10 जिलों धनबाद, बोकारो, रांची, रामगढ़, हजारीबाग, गोड्डा, देवघर, लातेहार, चतरा और गिरिडीह में कोयला खदानों से सात लाख से अधिक परिवार विस्थापित है।