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तो रहने लायक नहीं रहेगी धरती, भारत में जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरे


नई दिल्‍ली, । धरती पर जलवायु परिवर्तन की घटना दुनिया के तीन अरब लोगों के लिए खतरे की घंटी है। पिछले छह हजार सालों से इस धरती पर चर और अचर फलफूल रहे हैं। लेकिन अब यह धरा मुश्किल में पड़ गई है। खास बात यह है कि इसके लिए मानव सीधे तौर पर जिम्‍मेदार है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यूं चलता रहा तो 2070 तक यह धरती रहने लायक नहीं बचेगी। यहां का तापमान सहने लायक नहीं होगा। संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भले ही पेरिस जलवायु समझौते पर अमल की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद दुनिया तीन डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की तरफ बढ़ रही है। ग्‍लोबन वार्मिंग की वजह से अगर दुनिया का औसत तापमान 1.5 डिग्री बढ़ गया तो एक बड़ी आबादी को इतनी गर्मी में रहना होगा कि वे जलवायु की सहज स्थिति के बाहर हो जाएंगे। इसका सबसे ज्‍यादा प्रभाव आस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका, दक्षिण अमरीका और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में पड़ेगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक डिग्री की वृद्धि से करीब एक अरब लोग प्रभावित होंगे।

भारत में होंगे घातक परिणाम

1- पर्यावरणविद विजय बधेल का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के हिसाब से भारत बेहद संवेदनशील मुल्‍क है। वर्ष 2017 में हुए एक अध्ययन में भारत जलवायु परिवर्तन के हिसाब से दुनिया का छठा सबसे अधिक संकटग्रस्त देश था। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2018 में एचएसबीसी ने दुनिया की 67 अर्थव्यवस्थाओं पर जलवायु परिवर्तन के खतरे का आंकलन किया गया, जिसमें कहा गया कि क्लाइमेट चेंज की वजह से भारत को सबसे अधिक खतरा है। विश्व बैंक भी कह चुका है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत को कई लाख करोड़ डालर की क्षति हो सकती है।

2- उन्‍होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का भारत पर व्‍यापक असर होगा। इसका सबसे ज्‍यादा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा। दरअसल, हमारे देश की कृषि वर्षा पर आधारित है। यानी भारतीय कृषि पूरी तरह से मानसून पर निर्भर है। जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून में अनिश्चितता उत्‍पन्‍न होगी। यानी मानसून कभी तय समय से पहले आएगा तो कभी बाद में। जलावायु परिवर्तन के कारण वर्षा के असामान्‍य वितरण की समस्‍या उत्‍पन्‍न होगी। इससे भारत में कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा जैसी स्थितियों का सामना करना होगा। इसके अलावा पूर्वोत्‍तर भारत में बाढ़, पूर्वी तटीय क्षेत्रों में चक्रवात की स्थिति उत्‍पन्‍न होगी। उत्‍तर और पश्चिम भारत तें सूखे की भयावह स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है।