सुब्रमण्यम स्वामी ने हाई कोर्ट को बताया कि पिछले बयानों के विपरीत एयर इंडिया (Air India) ने अब एयरएशिया (AirAsia) का अधिग्रहण करने का फैसला लिया है, इसलिए याचिका में एयर इंडिया का पक्ष शामिल होना आवश्यक है। मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने स्वामी को आवश्यक आवेदन दायर करने की अनुमति दी।
राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने हाई कोर्ट को इस सप्ताह के शुरूआत में सूचित किया गया था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) दोनों को जनवरी 2020 में सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, जबकि अबतक केवल सीबीआई ने अपना जवाब दाखिल किया है। जजों की पीठ ने तब ईडी (ED) को भी अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 13 जनवरी, 2023 को सूचीबद्ध कर दिया।
बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने अपनी रिट याचिका में तर्क दिया कि एयरएशिया को दी गई एफआईपीबी (Foreign Investment Promotion Board ) की मंजूरी एफडीआई नीति (FDI policy) का उल्लंघन है। एयर एशिया (इंडिया) प्राइवेट मलेशियाई कंपनी एयरएशिया इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (AAIL), टाटा संस लिमिटेड और टेलेस्ट्रा ट्रेडप्लेस प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
स्वामी का कहना है कि यह एफडीआई नीति का उल्लंघन करता है क्योंकि भारतीय एयरलाइंस कंपनियों में से कोई भी घरेलू एयरलाइन ऑपरेटर नहीं है और “ग्रीनफील्ड” कंपनियों में एफडीआई (FDI) की अनुमति नहीं है।उन्होंने कहा कि टेलेस्ट्रा एएआईएल (AAIL) का बेनामीदार हो सकता है जिससे एएआईएल को 49% की क्षेत्रीय सीमा से ऊपर एक प्रभावी शेयरधारिता का रास्ता मिल जाएगा।