नीट यूजी विवादमें मेडिकल प्रवेश परीक्षा लेनेवाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) स्वयं कटघरेमें है, जिससे परीक्षाकी पवित्रता और निष्पक्षता प्रभावित हुई है। कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधानने स्वीकार किया था कि परीक्षामें कुछ गड़बड़ी हुई है और एनटीएको अपनी कार्यशैलीमें सुधार करनेकी जरूरत है। प्रधानने यह भी आश्वस्त किया था कि इस प्रकरणमें जो दोषी पाया जायगा उसे बख्शा नहीं जायगा। सर्वोच्च न्यायालयमें वेकेशन बेंचके समक्ष प्रस्तुत याचिकापर सुनवाईके दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टïीका यह कहना महत्वपूर्ण है कि यदि किसीकी ओरसे ०.००१ प्रतिशत भी लापरवाही हुई है तो उससे पूरी तरह निबटा जाना चाहिए। बच्चोंने परीक्षाकी तैयारी की है, हम उनकी मेहनतको नहीं भूल सकते हैं। पीठने सख्त रवैया अपनाते हुए यहांतक कह दिया कि कल्पना कीजिये कि सिस्टमके साथ धोखाधड़ी करनेवाला व्यक्ति डाक्टर बन जाता है, वह समाजके लिए और भी ज्यादा खतरनाक है। घोटालेसे जुड़ी याचिकाओंको आठ जुलाईको सुनवाईके लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है। वकीलोंसे भी उसी दिन सभी मामलोंपर बहस करनेके लिए निर्देश भी दे दिये गये हैं। इसके पूर्व ११ जूनको तीन याचिकाओंपर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालयने एटीएको नोटिस जारी किया था और काउंसिलिंग प्रक्रियाको रोकनेसे भी इनकार कर दिया था। इसी क्रममें १३ जूनको सर्वोच्च न्यायालयमें केन्द्र सरकारने कहा था कि ग्रेस मार्क्स पानेवाले १५६३ परीक्षार्थियोंके स्कोर कार्ड निरस्त होंगे और बिना ग्रेस मार्क्सके स्कोर कार्ड जारी किये जायंगे। चार जूनको एनटीएने नीट यूजीका परिणाम घोषित किया था और पहली बार ऐसा हुआ है कि जब ६७ परीक्षार्थियोंको ७२० मेंसे ७२० अंक प्राप्त हुए हैं। इस परीक्षा परिणामके विरोधमें देशव्यापी प्रदर्शन हुए और सड़कोंपर लोग उतर आये। इसे असाधारण घटना माना जाना चाहिए। इससे प्रवेश परीक्षासे लोगोंका विश्वास प्रभावित हुआ है। सर्वोच्च न्यायालयने जो कड़ी टिप्पणी की है, वह एनटीएके लिए कड़ी फटकार होनेके साथ ही सरकारके लिए भी सन्देश है। सर्वोच्च न्यायालयमें दायर याचिकाओंमें गुजरातके गोधरामें जय जल राम परीक्षा सेण्टरको चुननेके लिए विभिन्न राज्योंके परीक्षार्थियोंसे दस-दस लाख रुपये रिश्वत लेनेके आरोप लगाये गये हैं। पेपर लीककी सीबीआई जांच करानेकी भी मांग की गयी है, जिसकी सुनवाई आठ जुलाईको होनेवाली है। याचिका दायर करनेवालोंको न्यायालयसे न्याय मिलनेकी उम्मीद जगी ही है। देखना है कि शीर्ष न्यायालय आठ जुलाईको क्या रुख अपनाता है।