पटना। सरसों तेल, रिफाइन, दाल और मिर्च-मसाला ने एक महीने में आम उपभोक्ताओं की जेब ढीली कर दी। सामान्य उपभोग के इन जिंसों की कीमतें २० से ५० प्रतिशत बढ़ी हैं। तेल, रिफाइन, दाल और मिर्च मसालों ने सामान्य की कौन कहे, संम्पन्न लोगों का भी बजट बिगाड़ दिया है। कंजूमरों को घर चलाने के लिए कर्ज लेने पड़ रहे हैं, या अपने बजट में कटौती करनी पड़ रही है।
सबसे बुरा हाल सरसों तेल का है। १५ दिनों में इसकी कीमत में १० से ९० रुपये प्रति किलो वृद्धि हुई है। बिहार के उपभोक्ताओं ने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि उन्हें १५० से १६० रुपये किलो खुदरा में सरसों तेल भी खरीदना पड़ेगा, किन्तु बाजार के हालात ने उन्हें मजबूरी में इस दर पर सरसों तेल खरीदना पड़ रहा है। यह हाल खुदरा सरसों तेल का है।
ब्रांडेड कंपनियों के सरसों तेल की कीमत तो सांतवें आसमान पर है। स्कूटर, इंजन, हवाईघोड़ा और सोलोनी के ब्रांडेड सरसों तेल २३५० से २५०० रुपये टीन मिल रहा है। ब्रांडेड सरसों तेल के नाम पर लोकल तोता ब्रांड तेल ही दो हजार रुपये टीम उपलब्ध है।कच्ची घानी फर्चुन तेल ने भी कंजुमरों को दिन में तारे दिखा दिये हैं। इसकी कीमत भी पिछले एक महीने में १५ से २० रुपये किलो बढ़ी है।
यही हाल रहड़ दाल, मसूर दाल, चना दाल, मूंग दाल और उड़द दाल का है। इसकी कीमत एक पखवारे में १० से २० रुपये किलो बढ़ी है। दाल, सरसों तेल और रिफाइन ही महंगाई की गिरफ्त में नहीं आया है, बल्कि मिर्च-मसालों की भी कीमतें बेतहाशा बढ़ी है। गोलमिर्च, हल्दी, धनिया, लाल मिर्च, खड़ा सरसों और पोस्ता दाना के भी दाम १५ से ३०० रुपये किलो तक बढ़े हैं। इस महंगाई ने लॉकडाउन के हालत में आम उपभोक्ताओं की ही नहीं, व्यापारियों की भी हालत बिगाड़ दी है।
व्यापारियों का कहना है कि विदेशी बाजार से ही सरसों तेल और रिफाइन की कीमतें बढक़र आ रही है। सरसों तेल राजस्थान, मध्य प्रदेश और कोलकाता से बिहार आते हैं। इनकी कीमतें नियंत्रित नहीं हो रही हैं, नतीजा यह है कि सरसों तेल, रिफाइन और मिर्च-मसाला सामान्य उपभोक्ताओं की पकड़ से दूर होता जा रहा है।