कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ उनके और कुछ अन्य टीएमसी नेताओं द्वारा की गई कथित टिप्पणियों को लेकर दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी। बोस के वकील द्वारा आवेदन में आवश्यक बदलाव किए जाने के बाद मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी।
बोस के वकील ने राज्यपाल के खिलाफ निराधार आरोप लगाए जाने का दावा करते हुए मानहानि के मुकदमे में प्रतिवादियों द्वारा आगे कोई बयान देने पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की। न्यायमूर्ति कृष्ण राव ने कहा कि मुकदमे में जिन प्रकाशनों का उल्लेख किया गया है, उन्हें इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है।
बोस के वकील ने आवश्यक बदलावों को शामिल करते हुए नया आवेदन दाखिल करने के लिए समय मांगा। अनुमति देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी।
बोस ने 28 जून को बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इससे एक दिन पहले बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि राजभवन में होने वाली गतिविधियों के कारण वे वहां जाने से डरती हैं।
राज्य सचिवालय में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान बनर्जी ने 27 जून को कहा था, महिलाओं ने मुझे बताया है कि वे राजभवन में हाल में हुई घटनाओं के कारण वहां जाने से डर रही हैं।
बनर्जी की टिप्पणी के बाद राज्यपाल ने कहा था कि जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे “गलत धारणा” न बनाएं।
2 मई को राजभवन की एक संविदा महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी।
संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, किसी राज्यपाल के विरुद्ध उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती।