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बंगाल में अलकायदा से जुड़े एक और स्लीपर सेल माड्यूल की मौजूदगी का पता चला


कोलकाता । बंगाल पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को राज्य में अलकायदा से जुड़े एक्यूआइएस के एक और स्लीपर सेल माड्यूल के कूचबिहार जिले में मौजूदगी की जानकारी मिली है।18 अगस्त को बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के शासन गांव से गिरफ्तार किए गए दो एक्यूआइएस (भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का माड्यूल) कार्यकर्ताओं रकीब सरकार और काजी एहसानुल्ला से पूछताछ के बाद इस स्लीपर सेल के बारे में विवरण मिला है।

एसटीएफ सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तार दोनों एक्यूआइएस कार्यकर्ताओं ने उन्हें उत्तर बंगाल के कूचबिहार जिले के सीताई इलाके में एक समान माड्यूल के बारे में बताया, जो दो अन्य व्यक्तियों – मोहम्मद सैफुद्दीन और नूर कासिम द्वारा चलाया जाता है। हालांकि, जब तक एसटीएफ की टीम भारत-बांग्लादेश सीमा के काफी करीब स्थित इस गांव में पहुंची, तब तक दोनों फरार हो गया था। एसटीएफ उसकी तलाश कर रही है।

ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि सैफुद्दीन गांव की एक स्थानीय मस्जिद में इमाम था और वहां अपनी पत्नी के साथ रहता था। हालांकि, इस साल जून की शुरुआत में अचानक वह लापता हो गया और कुछ दिन बाद ही कासिम भी गांव से गायब हो गया। उत्तर 24 परगना से गिरफ्तार किए गए दोनों अलकायदा आतंकियों ने एसटीएफ के अधिकारियों को सूचित किया है कि सैफुद्दीन और कासिम दोनों उत्तर बंगाल के विभिन्न इलाकों में युवाओं का ब्रेनवाश करने, उन्हें प्रशिक्षण के लिए भेजने और स्लीपर सेल माड्यूल में शामिल करने के लिए काम कर रहा था।

उल्लेखनीय है कि एसटीएफ ने 18 अगस्त को उत्तर 24 परगना जिले के बारासात ब्लाक के शासन गांव से रकीब सरकार और काजी एहसानुल्लाह को गिरफ्तार किया था। उनके पास से आतंकवाद से संबंधित कई किताबें, प्रोपेगेंडा पैम्फलेट, डायरी, कंप्यूटर हार्ड-डिस्क, पेन ड्राइव, कई मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किए गए थे।

दोनों ने कबूल किया कि स्लीपर सेल नेटवर्क का विस्तार करने के मिशन में, लक्ष्य न केवल बंगाल बल्कि पड़ोसी बांग्लादेश के भी प्रभावशाली युवा थे। इनमें रकीब सरकार को बंगाल में एक्यूआइएस की बाहरी समन्वय शाखा अंसार अल इस्लाम जिसे अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के रूप में भी जाना जाता है, का मुख्य समन्वयक भी बनाया गया था। इसमें उसका काम अन्य राज्यों के साथ-साथ कुछ पड़ोसी देशों, विशेष रूप से बांग्लादेश में अपने समकक्षों के साथ समन्वय करना था। इसके साथ ही वह बाहर से बंगाल आने वाले एक्यूआइएस नेताओं के रहने के लिए सुरक्षित घर की व्यवस्था भी करता था।