दृश्यम वन में अजय देवगन की बेटी बन कर घर-घर मशहूर हुईं इशिता दत्ता टीवी और विज्ञापनों की दुनिया का जाना-माना चेहरा हैं। इन दिनों वे ख़बरों में हैं अपनी जल्द रिलीज होने वाली ‘दृश्यम 2’ की वजह से। इस फिल्म से इशिता को काफी उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि ये फिल्म वापस से बॉक्स ऑफिस की रौनक लौटाएगी। उनकी ये उम्मीदें कहीं न कहीं सच भी साबित होती दिख रही हैं। क्योंकि दृश्यम 2 को बढ़िया ओपनिंग मिली है। पढ़िए इशिता दत्ता का इंटरव्यू। मुझे इस फिल्म से बहुत उम्मीद है। जो फिल्में नहीं चल रहीं हैं, उनकी शायद दिक्कत यही रही कि लॉकडाउन के तुरंत बाद आई तो और लोग घर पर बैठकर ओटीटी पर देखना ज्यादा पसंद करने लगे हैं। मगर अब फिर से लोग बाहर निकलने लगे हैं। रौनक वापिस लौट रही है। मैं ये गारंटी दे सकती हूं कि फिल्म का ये पार्ट भी पहले जितना ही अच्छा और स्ट्रॉन्ग होगा। आम तौर लोगों को सीक्वल पसंद नहीं आती, क्योंकि लोगों के हिसाब से वो फर्स्ट पार्ट से कमजोर पड़ जाती हैं। कई बार लोग तुलना करने लगते हैं। इसमें भी तुलना तो होगी ही, मगर जिस तरह से कहानी लिखी गई है, वो इतनी अलग है कि अगर मैं आपको बता भी दूं कि क्या होने वाला है? फिर भी आप जा कर देखेंगे। फिल्म ऐसी है कि आप पूरी फिल्म देखना चाहेंगी और आखिर में जा कर पूरा पता चलेगा कि अच्छा ऐसे हुआ और तब आप डॉट्स कनेक्ट कर पाएंगे। मैं यही प्रार्थना कर सकती हूं, लोग इस फिल्म के चलते सिनेमाघरों में लौटें। सबसे दोबारा मिलना काफी अच्छा था, क्योंकि इन सात सालों में सबसे तो मिलना नहीं हुआ है। कुछ लोगों के साथ हम टच में थे, कुछ के साथ नहीं थे। लेकिन वो बॉन्ड वहीं से शुरू हुआ। मुझे याद है जब 7 साल पहले मैं शूटिंग कर रही थी, तो मुझे थोड़ा सा डर रहता था कि अरे अजय सिर बैठे हैं, कैसे बात करूं? तो वो कंफर्ट आ गया है इस बार। श्रिया के साथ मेरा अच्छा समय बीता। तब्बू जी तो प्यार हैं मतलब वो इतने खुले दिल से गले लगाती थीं कि कोई ऐसे प्यार से गले नहीं गले लग सकता। इस बार मैंने अपने साथी कलाकारों के साथ ज्यादा वक्त बिताया है। लोगों से ज्यादा घुली-मिली हूं पिछली बार के कंपेरिजन में। हम उसी घर में वापिस गए, हमने वहीँ दोबारा शूटिंग की। वहां दोबारा शूट करना ऐसा लग रहा था, मानो मैं नानी के घर छुट्टियां मनाने आई हूं। कुल मिलाकर चीजें अच्छी हुई हैं रिश्ते और गहरे हुए हैं। ना सिर्फ परिवार बल्कि नजदीकी दोस्त भी मेरे लिए ऐसे ही हैं और इनके लिए जितना मुझसे हो सकता है, मैं करती हूं। मेरे लिए मेरा परिवार और मेरे दोस्त सबसे पहले हैं और हां मेरा करियर भी उतना ही जरूरी है, लेकिन मैं कभी अपने काम को परिवार पर हावी नहीं होने देती हूं, क्योंकि काम मेरे जिंदगी का हिस्सा है, मेरी जिंदगी नहीं। मेरे लिए मेरा परिवार बहुत जरूरी है। मेरे मम्मी-पापा जान हैं मेरी, उनके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं। मुझे लगता है ये कई बार भाग्य पर निर्भर करता है क्योंकि कई बार सही समय पर सही प्रोजेक्ट करना भी जरूरी होता है, शायद मैंने कभी कुछ गलत भी किया होगा और आज मैंने वो गलत न किया होता, तो शायद हालात कुछ और होते। लेकिन मुझे लगता है किस्मत में जो लिखा होता है, वो होता ही है और जो अच्छा अवसर मिलता है, मैं उसमे अपना बेस्ट देती हूं और मैं उसमें ही खुश रहने की कोशिश करती हूं। मैं भी अलग-अलग अच्छे किरदार करना चाहती हूं, लेकिन मुझे लगता है बहुत से चीजें आपके हाथ में नहीं होती, लेकिन ठीक है, मैं खुश हूं।