- मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार ईद उल फितर रमजान के महीने के खत्म होने पर मनाया जाता है। लेकिन पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना महामारी ने तबाही मचाई हुई है। इसे देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने तमाम लोगों से गुजारिश करते हुए कहा कि, सभी लोग घरों में ही ईद की नमाज पढ़, खुशियां मनाएं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है। ईद के दिन सुबह की नमाज पढ़ इसकी शुरूआत हो जाती है।
जामा मस्जिद के शाही ईमाम सईद अहमद बुखारी ने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि, आगामी दिनों में मनाई जानी वाली ईद पर लोग अपने घरों में ही नमाज पढ़ें। ये जानलेवा बीमारी बहुत तेजी से फैल चुकी है। यह ऐसा कयामत का मंजर जिसे हमने आपने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा। कई परिवारों ने अपने लोगों को खो दिया।
कई लोग तो अपनों को कंधा भी नहीं दे सके, डॉक्टरों के मुताबिक अभी तीसरी लहर बाकी है। इसके लिए बहुत एहतियात की जरूरत है।
इस साल रमजान 13 अप्रैल से शुरू हुए थे, इसलिए ईद उल फितर 13 मई, गुरुवार या 14 मई, शुक्रवार को मनाई जा सकती है। हालांकि, चांद देखकर ही इसकी सही तारीख तय होगी।
नई दिल्ली के इमाम हाउस में मुख्य इमाम डॉक्टर इमाम उमेर अहमद इल्यासी ने अपील करते हुए कहा कि, इस समय बेहद कठिन समय चल रहा है। मैं सभी लोगों ने गुजारिश करता हूं कि आप सभी लोग सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन जरूर करें। मस्जिदों के अंदर चंद लोग ही नमाज पढ़ रहें है इसलिए आप बीते साल की तरह इस साल भी नियमों का पालन करें। हालात बेकाबू हो गए है, अपने घरों में ही रहें। इस बात का भी ख्याल रखें कि आपको खुद के साथ अपनों की भी जान बचानी है।
दरअसल इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान के दौरान पाक मन से रोजे रखने वालों और नमाज अदा करने वालों के अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देता है। वहीं ईद उल फितर के साथ ही रोजे भी खत्म हो जाते हैं। ईद उल फितर के दिन लोग सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन और चैन की दुआ मांगते हैं।