नई दिल्ली। सिर्फ सात वर्ष पहले 2016 में शुरू किया गया रायसीना डायलाग सिर्फ भारतीय कूटनीति के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति के विशेषज्ञों, शोधार्थियों, राजनेताओं और नीति-निर्धारकों के बीच विमर्श का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है। दो वर्ष वर्चुअल तरीके से आयोजन के बाद 25 से 27 अप्रैल, 2022 तक फिर दुनियाभर के दिग्गज इस मंच के जरिये दुनिया के समक्ष मौजूदा चुनौतियों पर विमर्श करेंगे।
यूक्रेन-रूस युद्ध और अर्थव्यवस्था पर होने वाले संभावित असर पर होगा इस वर्ष मंथन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को रायसीना डायलाग का उद्घाटन करेंगे। इस आयोजन में दुनिया के 90 देशों के प्रतिनिधि (जिसमें 25 देशों के वरिष्ठ मंत्री शामिल हैं) यूक्रेन-रूस युद्ध से लेकर क्रिप्टोकरेंसी और आपूर्ति श्रृंखला के हालात पर अपने विचार रखेंगे। विदेश मंत्रालय और आब्जर्बर रिसर्च फाउंडेशन की तरफ आयोजित इस मंच पर सिर्फ दिग्गज देशों की सरकारों की ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संस्थानों की भी नजर होती है।
सोमवार से शुरू होगा कूटनीतिक का यह महाकुंभ
इस बार के आयोजन का थीम है ‘टेरा नोवा: इंपैसंड, इंपेसेंट और इंपेरिल्ड’। धरती को सबसे पुराना नाम टेरा नोवा है और इस नाम से थीम रखने के पीछे उद्देश्य यही है कि धरती को नए दृष्टिकोण से देखा जाए। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस थीम के तहत छह प्रमुख विषय हैं जिसके आसपास पूरा आयोजन केंद्रित होगा। ये हैं लोकतंत्र के बारे में नए सिरे से विचार, बहुपक्षीय एजेंसियों की भूमिका, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, स्वास्थ्य व विकास को लेकर सामुदायिक स्तर पर उत्पन्न चुनौतियां, पर्यावरण की चुनौतियों को पार करते हुए हरित व्यवस्था के लक्ष्य और तकनीकी के क्षेत्र में बदलती स्थिति।
इस बार के आयोजन की खासियत यह है कि नई दिल्ली के साथ ही वाशिंगटन और बर्लिन में भी रायसीना डायलाग के तहत दूसरे आयोजन होंगे। यह रायसीना डायलाग की बढ़ती अहमियत और स्वीकृति को रेखांकित करता है। दुनिया में इस स्तर पर कूटनीति के क्षेत्र का शायद ही कोई दूसरा आयोजन होता होगा।कहने की जरूरत नहीं कि नई दिल्ली इन तीन दिनों तक जबरदस्त कूटनीतिक गहमा-गहमी के केंद्र में रहेगा।
पिछले 24 घंटे में भारत में यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सूला लेयन, फिलीपींस के विदेश मंत्री टेडी लास्किन, अर्जेंटीना के विदेश मंत्री सेंटियागो केफिरो, नाइजीरिया के विदेश मंत्री जेफरी ओयीमा भारत पधार चुके हैं। इसके अलावा स्लोवेनिया, पुर्तगाल, पोलैंड, नीदरलैंड, मेडागास्कर, लिथुआनिया, नार्वे, लक्जमबर्ग, आर्मेनिया और गुयाना के विदेश मंत्री भी पहुंच रहे हैं।