1971 की लोंगेवाला की लड़ाई में भारत के शौर्य को एक बार फिर वायुसेना प्रमुख ने ताजा कर दिया। भारत-पाकिस्तान सीमा पर जैसलमेर बॉर्डर के लोंगेवाला में हुई जंग में महज 120 भारतीय जवानों की टुकड़ी ने ना सिर्फ दुश्मन देश पाकिस्तान के 2000 सैनिकों को धूल चटाई, बल्कि उसके बख्तरबंद बल गाड़ियों को भी तहस-नहस कर दिया। इस लड़ाई को दुनिया के सबसे भयानक टैंक युद्धों में से एक माना जाता है, जिसमें हमारे देश के जवानों ने अपना लोहा पूरी दुनिया को मनवाया। एक फिर लोंगेवाला की लड़ाई के जरिए एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया ने बताया कि भारतीय वायुशक्ति भयंकर परिणाम ला सकती है।
दरअसल, दिल्ली में भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने आज एयरफोर्स म्यूजियम में एयर मार्शल भरत कुमार (सेवानिवृत्त) की लिखित एक पुस्तक ‘द एपिक बैटल ऑफ लोंगेवाला’ का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि 1971 की जंग के दौरान पाकिस्तान सेना के बख्तरबंद बल की योजना शानदार थी, लेकिन वे वायुसेना को नहीं जान पाए और उन्होंने सोचा था कि जैसलमेर में बैठे आधे स्क्वाड्रन क्या करेंगे, यह उनकी गलती थी। यदि समय और स्थान को सही ढंग से चुना जाता है तो वायु शक्ति भयंकर परिणाम ला सकती है।
दुश्मन देश के मंसूबों पर जब भारी पड़े हमारे जवान
आपको बता दें कि साल 1971 के युद्ध के मैदान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह बन दी थी। 4, 5 और 6 दिसंबर 1971 को थार रेगिस्तान में लोंगेवाला में दुनिया की सबसे खतरनाक टैंकों की लड़ाई हुई थी। पाकिस्तान की योजना थी कि लोंगेवाला पर हमला करके उसे बेस बना लिए जाए। लेकिन भारतीय सेना ने दुश्मन देश के इन मंसूबों पर बुरी तरह पानी फेरकर उनको नेस्तनाबूद कर दिया।