पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में एक टिप्पणी की थी, जिसको लेकर विवाद हो गया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सफाई दी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हमने किसी को भी रेपिस्ट से शादी करने के लिए नहीं कहा.
सीजेआई एसए बोबड़े ने आज एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ‘यहां तक कि पिछली बार भी हममें से किसी का भी सुझाव नहीं था कि आपको शादी करनी चाहिए, मैंने जांच की कि हमारे सामने कोई वैवाहिक बलात्कार का मामला नहीं था.’
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘उस मामले में यह सवाल बिल्कुल अलग संदर्भ में पूछा गया था, इसकी व्याख्या इस तरह से की गई कि ऐसा लगता था कि अदालत ने उन्हें शादी करने और बसने के लिए कहा है, टिप्पणी और सवाल को तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है.’
सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा, ‘एक संस्था के रूप में हम नारीत्व का सर्वोच्च सम्मान करते हैं.’ इस पर एक वकील ने कहा, ‘संस्था को कलंकित करने का प्रयास करने वाले लोगों के लिए कदम उठाने की जरूरत है.’ इस पर सीजेआई ने कहा, ‘हमारी प्रतिष्ठा हमेशा बार के हाथों में होती है.’ अब इस मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने एक नाबालिग के साथ यौन शोषण मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पर चार हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी. आरोपी एक सरकारी कर्मचारी है, जो महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड में तकनीशियन है. आरोपी का तर्क था कि अगर उसे गिरफ्तार किया जाता है, उसे सेवा से निलंबित कर दिया जाएगा.
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘आपको लड़की के साथ छेड़खानी और बलात्कार से पहले ये बात सोचनी चाहिए थी. आपको पता था कि आप सरकारी कर्मचारी हैं, हम आपको शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं, अगर आप करेंगे तो हमें बताएं, अन्यथा आप कहेंगे कि हम आपको उससे शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं.’
आरोपी के वकील आनंद दिलीप लांडगे ने अदालत को सूचित किया कि उस व्यक्ति ने लड़की से शादी करने की पेशकश की थी लेकिन उसने इनकार कर दिया था. आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ‘मैं अब उससे शादी करने की स्थिति में नहीं हूं क्योंकि मैं पहले से ही शादीशुदा हूं.’