पेशावरः पाकिस्तान के दक्षिणी प्रांतों में विषम परिस्थितियों में रह रहे अफगान शरणार्थियों ने इमरान खान सरकार से कोरोना वैक्सीन के बजाय उन्हें पैसा मुहैया कराने की मांग की है। उनकी मांग है कि कोरोना टीके के बजाए उन्हें भुखमरी से बचने के लिए रोजगार और पैसे दिए जाएं क्योंकि उनके शिविर वायरस की चपेट में नहीं आए हैं। अफगान शरणार्थियों के प्रतिनिधियों ने शरणार्थी आबादी के बीच वायरस के बारे में जागरूकता की कमी के बारे में चिंता व्यक्त करते कहा कि उन्हें टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
कुछ लोगों ने दावा किया कि बीमारी ने उनके शिविरों में किसी को नहीं मारा था ।बता दें कि देश भर में 54 शिविरों में कम से कम 1.4 मिलियन अफगान शरणार्थी रहते हैं जिनमें से ज्यादातर अफगानिस्तान के सीमावर्ती उत्तरी-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा और दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांतों में है। इसके अलावा पाक के कराची और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरी केंद्रों में शरणार्थी बस्तियाँ भी हैं।
शरणार्थियों का आरोप है इस्लामाबाद उन्हें संपत्ति, वाहन और यहां तक कि सिम कार्ड खरीदने से रोक देता है। वे पब्लिक स्कूलों या विश्वविद्यालयों में नहीं जा सकते। अस्पताल अक्सर अफगान माहिलाओं का प्रसव करने से इनकार करते हैं क्योंकि वे नवजात शिशुओं को जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकते हैं। अनुमान के मुताबिक लगभग पाक में एक लाख से अधिक अप्रवासी बिना उचित दस्तावेज के रह रहे हैं। पाक सरकार ने उन्हें संपत्ति, वाहन और सिम कार्ड खरीदने के अधिकार से वंचित कर रखा है।