नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार (3 जून) को कांग्रेस नेता जयराम रमेश के उस आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को होने वाली मतगणना से पहले जिला अधिकारियों को कॉल किए और उन्हें धमकाया।
उनके आरोपों पर चुनाव आयोग ने कहा कि किसी भी अधिकारी ने किसी भी तरह के “अनुचित दबाव” बनाए जाने की सूचना नहीं दी है। आयोग ने कांग्रेस नेता रमेश से आज शाम 7 बजे तक अपने आरोप के समर्थन में विवरण मांगा है, ताकि कार्रवाई की जा सके।
जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “निवर्तमान गृह मंत्री अमित शाह आज सुबह से जिला कलेक्टर्स से फोन पर बात कर रहे हैं, अब तक 150 अफसरों से बात हो चुकी है, अफसरों को इस तरह से खुल्लमखुल्ला धमकाने की कोशिश निहायत ही शर्मनाक है एवं अस्वीकार्य है, याद रखिए कि लोकतंत्र जनादेश से चलता है, धमकियों से नहीं। 4 जून को जनादेश के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा सत्ता से बाहर होंगे और विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन विजयी होगा। अफसरों को किसी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए व संविधान की रक्षा करनी चाहिए, वे निगरानी में हैं।”
आरोपों पर चुनाव आयोग ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने सोमवार को कहा कि ‘अफवाह’ फैलाना और ‘हर किसी पर संदेह करना’ सही नहीं है। क्या कोई उन सभी को (जिला मजिस्ट्रेट/रिटर्निंग अधिकारी प्रभावित कर सकता है? क्या कोई 500-600 लोगों को प्रभावित कर सकता है? हमें बताएं कि यह किसने किया। हम उस व्यक्ति को दंडित करेंगे जिसने ऐसा किया। उन्हें वोटों की गिनती से पहले विवरण बताना चाहिए। यह सही नहीं है कि आप अफवाह फैलाएं और हर किसी पर संदेह करें।
राजीव कुमार ने कहा कि उन्होंने वोटों की गिनती से पहले बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाई गई मांगों को भी स्वीकार कर लिया है। सीईसी कुमार ने कहा, “बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों को हमारी ओर से स्वीकार किया गया है। उन्होंने मांग की कि कंट्रोल यूनिट्स की सीसीटीवी से निगरानी होनी चाहिए। हमने उनकी मांगों को माना और हम ऐसा ही करेंगे।”
बता दें कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को चुनाव आयोग की पीठ से मुलाकात की और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि 4 जून को सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। चुनाव आयोग के खिलाफ ‘लापता जैंटलमैन’ के दावों का खंडन करते हुए सीईसी कुमार ने कहा, “हमने अपने प्रेस नोटों के माध्यम से संवाद करने का विकल्प चुना, जिनमें से 100 से अधिक मतदान के दौरान जारी किए गए थे।”
चुनाव आयोग ने जयराम रमेश से पूछा बड़ा सवाल
चुनाव आयोग ने कहा कि वरिष्ठ नेता होने के नाते रमेश ने यह सार्वजनिक बयान उन तथ्यों के आधार पर दिया होगा जिन्हें वे सही मानते हैं। चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को लिखे गए पत्र में कहा है कि, “इस संबंध में यह ध्यान देने योग्य है कि आदर्श आचार संहिता के लागू होने की अवधि में सभी अधिकारी आयोग की प्रतिनियुक्ति पर माने जाते हैं और वे किसी भी निर्देश के लिए सीधे आयोग को रिपोर्ट करते हैं। हालांकि, किसी भी डीएम ने आपके द्वारा लगाए गए किसी भी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है। जैसा कि आप जानते हैं, वोटों की गिनती की प्रक्रिया प्रत्येक आरओ दो सौंपा गया एक पवित्र कर्तव्य है और आपके द्वारा दिए गए ऐसे सार्वजनिक बयान संदेह पैदा करते हैं, इसलिए व्यापक जनहित में इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।”
रमेश से चुनाव आयोग ने मांगा 150 डीएम का ब्यौरा
चुनाव आयोग ने कहा, “इसलिए एक राष्ट्रीय पार्टी के जिम्मेदार, अनुभवी और बहुत वरिष्ठ नेता होने के नाते आपको मतगणना के दिन से ठीक पहले तथ्यों/सूचनाओं के आधार पर ऐसा सार्वजनिक बयान देना चाहिए जिसे आप सच मानते हैं। अनुरोध है कि उन 150 डीएम का ब्यौरा, जिन्हें गृह मंत्री की ओर से कथित रूप से इस तरह के कॉल किए गए हैं, आपके द्वारा दी गई जानकारी के तथ्यात्मक मैट्रिक्स/आधार के साथ आज यानी 2 जून, 2024 को शाम 6 बजे तक साझा किया जाएं, ताकि समुचित कार्रवाई की जा सके।”