नई दिल्ली। अलग-अलग नियामकों के बीच बिखरी उच्च शिक्षा अब एक नियामक ( रेगुलेटर) के दायरे में होगी। शिक्षा मंत्रालय ने लंबे मंथन के बाद भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। कैबिनेट की बैठक बुधवार को भी है। जिसकी मंजूरी के बाद इससे जुड़े विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। हालांकि, इसके दायरे से कानून और मेडिकल की पढ़ाई को अलग रखा गया है।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अभी करीब 14 नियामक काम कर रहे है। उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाने की यह जरूरत तब महसूस हुई, जब उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्तता देने की पहल तेज हुई।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) ने भी इसकी सिफारिश की
इस बीच, एक संस्थान में अलग-अलग कोर्सों के लिए अलग-अलग नियामकों के हस्तक्षेप से इस काम में बाधा खड़ी होने लगी थी। इसके बाद इस दिशा में पहल तेज हुई है। बाद में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने भी इसकी सिफारिश की। जिसमें भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन की सिफारिश की गई। साथ ही इसके अधीन चार स्वतंत्र संस्थाएं भी गठित करने का प्रस्ताव किया। जो नियामक, गुणवत्ता व वित्तीय मदद आदि का काम देखेगी।
खास बात यह है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 के बजट भाषण में ही इस आयोग के गठन का ऐलान किया था। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के बाद यूजीसी जैसे नियामक समाप्त हो जाएंगे। वैसे भी मौजूदा समय में यह सिर्फ फंडिंग एजेंसी के रूप में सिमट कर रह गया है। फिलहाल देश भर के शिक्षाविदों के साथ इस विषय पर लंबी चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया है। इसके साथ ही दुनिया के सभी प्रमुख देशों के भी उच्च शिक्षा के ढांचे को देखा गया है।
उच्च शिक्षा में अभी करीब 14 नियामक
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में फिलहाल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC ), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE), राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE), राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद ( NCVET) सहित करीब 14 नियामक काम करते हैं। माना जा रहा है कि एक नियामक के दायरे में आने से उच्च शिक्षा से जुड़े फैसले लेने में आसानी होगी। साथ ही इनकी गुणवत्ता का निर्धारण एक जगह से हो सकेगा। संस्थान भी स्वायत्त होकर काम कर सकेंगे।