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अब गोगोई ट्वीट को लेकर फंसी TMC सांसद महुआ मोइत्रा,


गुवाहाटी, । मां काली पर आपत्तिजनक ट्वीट करने वालीं तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा अब नए मामले फंसती दिख रही हैं। महुआ पर ‘असमियों की भावनाओं का अपमान करने’ के आरोप में असम में प्राथमिकी दर्ज की गई है। असम के जातीय संग्रामी सेना ने शुक्रवार को शिवसागर जिले में FIR दर्ज कर बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है। मोइत्रा द्वारा एक ट्वीट में ‘गोगोई’ उपनाम को शारीरिक शोषण से जोड़ने के लिए उनसे माफी मांगने को कहा गया है।

FIR में यह लिखा गया

प्राथमिकी में, संगठन की शिवसागर इकाई के अध्यक्ष प्रणब चेतिया ने लिखा, “यह देखा गया है कि मोइत्रा की ट्विटर टिप्पणी में जानबूझकर गोगोई शब्द की जगह शारीरिक शोषण जोड़ा गया है, जो असम के एक स्थापित जातीय समुदाय को बदनाम करने और उसे नीचा दिखाने का एक स्पष्ट इरादे को दिखाता है। एफआइआर में संगठन ने अहोम समुदाय की पवित्रता, अखंडता और सम्मान की रक्षा करने और मोहुआ मोइत्रा को सजा दिलाने की मांग की है।

इस ट्वीट के चलते हुआ विवाद

तृणमूल लोकसभा सांसद ने एक विवाद को उस समय खड़ा कर दिया जब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा “असंसदीय शब्दों के प्रतिस्थापन पर मेरी पहली नई ट्विटर श्रृंखला। उन्होंने लिखा अब प्रतिबंधित शब्द शारीरिक शोषण की जगह श्री गोगोई का उपयोग होगा। बता दें कि महुआ संसद में कुछ शब्दों के इस्तेमाल पर कथित ‘प्रतिबंध’ को लेकर उठे विवाद का जिक्र कर रही थी।

फिल्म समीक्षक उत्पल बोरपुजारी ने भी की आलोचना

बता दें कि असम में उपनाम के रूप में गोगोई अहोम समुदाय के भीतर बहुत आम है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म समीक्षक उत्पल बोरपुजारी ने मोइत्रा की टिप्पणी के लिए खुले तौर पर आलोचना की और उन्हें उस विशिष्ट व्यक्ति के नाम का उल्लेख करने की सलाह दी, जिसके बारे में वह इशारों में कहना चाहती थीं।

बाद में दी सफाई

मोइत्रा ने इसके बाद एक अन्य ट्वीट में सफाई देते हुए लिखा: “सिर्फ उन संघियों के ट्वीट के लिए जो यह कहते हैं कि मैंने सभी गोगोई को निशाना बनाया, मैं इसे स्पष्ट कर दूं कि यह मिस्टर रंजन गोगोई जो राज्यसभा के माननीय सांसद है उनके लिए था”।

इसलिए रंजन गोगोई पर किया कटाक्ष

बता दें कि मोइत्रा ने रंजन गोगोई ने अपने ट्वीट में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर कटाक्ष किया था। गौरतलब है कि अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी ने तत्कालीन सीजेआइ रंजन गोगई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हालांकि जस्टिस गोगोई ने मामले में स्वत: संज्ञान लेकर केस दर्ज करने के बाद इससे निपटने के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता की थी। इस मामले में बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी।