नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) जल्द ही अलग-अलग प्रारूप में अलग-अलग टीमें उतारने पर विचार कर रहा है। लगातार हर प्रारूप में क्रिकेट खेलने, खिलाडि़यों की चोट और भविष्य में वनडे विश्व कप, टी-20 विश्व कप और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप को जीतने के लिए बीसीसीआइ इस दिशा में आगे बढ़ेगा।
भारतीय टीम को 14 दिसंबर से 22 मार्च तक छह टेस्ट, छह टी-20 और नौ वनडे खेलने हैं। अभी तक चयनसमिति टूर्नामेंट के हिसाब से खिलाडि़यों की उपलब्धता और वर्कलोड मैनेजमेंट के आधार पर टीम चुन रही थी।
2013 चैंपियंस ट्राफी के बाद भारतीय टीम कोई आइसीसी ट्राफी नहीं जीत पाई है और पिछले टी-20 विश्व कप में तो टीम सेमीफाइनल के लिए भी क्वालीफाई नहीं कर सकी थी। इस साल आस्ट्रेलिया में हुए टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में भी उसे इंग्लैंड से बहुत बुरी हार मिली थी।
अगले साल भारत में वनडे विश्व कप होना है और भारतीय टीम को हाल ही में बांग्लादेश के विरुद्ध वनडे सीरीज में 1-2 से हार मिली जिसने बीसीसीआइ का पारा और बढ़ा दिया है। बीसीसीआइ सूत्रों का कहना है कि जल्द ही सीएसी नई चयनसमिति को चुनेगी। इसके बाद चयनसमिति तीन अलग-अलग टीमों को चुनने की दिशा में काम करेगी।
इसका मतलब है कि वनडे, टी-20 और टेस्ट में अलग-अलग टीम होगी। तीनों प्रारूप के कप्तान भी अलग-अलग हो सकते हैं। तीनों टीमें अलग-अलग होंगी। कुछ ही खिलाड़ी ऐसे होंगे जो दो या तीनों प्रारूप में खेलेंगे। फिलहाल रोहित शर्मा तीनों प्रारूप के कप्तान हैं लेकिन चोट या फिटनेस या वर्कलोड मैनेजमेंट के कारण वह लगातार तीनों प्रारूप में नहीं खेल पा रहे हैं।
वह वनडे के कप्तान बने रह सकते हैं। हार्दिक पांड्या टी-20 के नियमित कप्तान बने रह सकते हैं। टेस्ट में केएल राहुल या किसी और को नियमित कप्तान बनाया जा सकता है। रोहित का टेस्ट करियर भी जल्द ही खत्म हो सकता है।