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आईआरसीटीसी घोटाला मामलेमें लालू-राबड़ी की याचिका खारिज


नयी दिल्ली (आससे)। दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने आईआरसीटीसी घोटाला मामले में रोजाना सुनवाई के खिलाफ अपील की थी। इससे पहले विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरजेडी प्रमुख लालू यादव, राबड़ी देवी और अन्य आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप तय किए थे। न्यायाधीश विशाल गोगने ने अपने आदेश में कहा कि अदालत को यह अधिकार है कि वह किसी भी मुकदमे की सुनवाई किस तारीख और किस क्रम में तय करे। उन्होंने कहा, ट्रायल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में यह आता है कि वह मामलों की लिस्टिंग, सुनवाई की तारीखें और उनकी निरंतरता का फैसला करे। यह प्रक्रिया मामले की प्रकृति, आरोपों की गंभीरता, आरोपियों और गवाहों की संख्या सहित कई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तय की जाती है। अदालत ने इससे पहले आदेश दिया था कि 27 अक्टूबर से 7 नवंबर तक अभियोजन पक्ष की ओर से औपचारिक गवाहों की गवाही दर्ज की जाएगी। हालांकि, कुछ आरोपियों की याचिका पर गवाहों से जिरह की तारीख को 17 नवंबर तक टाल दिया गया था। लालू यादव, राबड़ी देवी और एम/एस लारा प्रोजेक्ट्स की ओर से दायर याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया था कि हर सुनवाई के बाद अगली तारीख कम से कम एक हफ्ते के बाद तय की जाए. लेकिन अदालत ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए कहा, सुनवाई का नियंत्रण अदालत का विशेषाधिकार है. वकीलों की सुविधा को ध्यान में रखा जाता है, लेकिन अदालत को अपने अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। जज गोगने ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि उच्च न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि ट्रायल शुरू होने के बाद मामलों की सुनवाई को तेजी से पूरा किया जाए, स्थगन से बचा जाए और सबूतों को रोज़ाना दर्ज किया जाए. उन्होंने कहा कि अदालत इस दिशा-निर्देश का पालन करते हुए तेज़ी से ट्रायल आगे बढ़ाएगी और हर सुनवाई के बाद कम से कम एक सप्ताह का अंतर रखने की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता। आईआरसीटीसी घोटाला उस कथित मामले से जुड़ा है जिसमें लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम के दो होटल बीएनआर होटल (रांची) और पुरी होटल को निजी कंपनियों को पट्टे पर देने में कथित अनियमितताएं और घूसखोरी की गई थीं. सीबीआई ने 2017 में इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
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