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‘इस्लामोफोबिक घटनाओं पर चुप्पी तोड़ें पीएम मोदी’, शशि थरूर बोले-मुस्लिम देशों से कमजोर हो जाएंगे रिश्ते


नई दिल्ली, ।  भाजपा के बर्खास्त दो पदाधिकारियों द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी को लेकर अब शशि थरूर का बयान सामने आया है। इस मामलें में मुस्लिम लोगों की नाराजगी के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने रविवार को कहा कि यह सही समय है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ‘नफरत फैलाने’ वाले बयानों पर अपनी चुप्पी तोड़ें। थरूर ने कहा कि ऐसे भाषण और इस्लामोफोबिक घटनाओं पर उनकी चुप्पी की कुछ लोग गलत व्याख्या कर रहे हैं।

मुस्लिम देशों से रिश्ते पर पड़ेगा असर

समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, थरूर ने कहा कि विडंबना यह है कि हाल के वर्षों में भारत सरकार ने इस्लामी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रभावशाली कदम उठाए हैं, लेकिन अब “गंभीर रूप से कमजोर संबंध” होने का खतरा है।

विभाजनकारी बयानबाजी भारत के विकास में रोड़ा

थरूर का यह बयान पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी पर कई मुस्लिम-बहुल देशों की नाराजगी और निंदा पर आया है। उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​​​है कि यह उचित समय है कि पीएम हमारे देश में अभद्र भाषा और इस्लामोफोबिक घटनाओं के प्रसार पर अपनी चुप्पी तोड़ें। उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि मोदी समझते हैं कि इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी भारत के विकास और समृद्धि के लिए उनके अपने दृष्टिकोण को कमजोर कर रही है। थरूर ने जोर देकर कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए सामाजिक एकता और राष्ट्रीय सद्भाव जरूरी है।

ऐसे बयानों को रोकने के लिए सार्वजनिक रूप से हो आह्वान

तिरुवनंतपुरम के लोकसभा सांसद ने कहा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के लिए पीएम को सार्वजनिक रूप से इस तरह के व्यवहार को रोकने का आह्वान करना चाहिए। बता दें कि कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी कहा था कि प्रधानमंत्री को भाजपा के बर्खास्त दो पदाधिकारियों द्वारा आपत्तिजनक बयानों के तुरंत बाद बोलना और कार्य करना चाहिए था।

 

ईशनिंदा कानून पर भी बोले थरूर

थरूर ने देश में ईशनिंदा कानूनों की आवश्यकता पर चल रही बहस की भी सराहना की और कहा कि वह ऐसे कानूनों के प्रशंसक नहीं हैं क्योंकि अन्य जगहों पर ऐसे कानूनों का इतिहास उनके दुरुपयोग से भरा पड़ा है। थरूर ने कहा, “ईशनिंदा कानून का अस्तित्व उन लोगों द्वारा अत्यधिक तुच्छ मुकदमेबाजी और भीड़ के दुराचार दोनों को प्रोत्साहित करता है जो कानून को अपने हाथ में लेते हैं। मुझे लगता है कि हमारे वर्तमान अभद्र भाषा कानून और धारा 295 ए इस तरह के दुर्व्यवहार से निपटने के लिए काफी पर्याप्त हैं।