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उत्तराखंडियत के पैरोकार Harish Rawat ने बयां किया हार का दर्द


राज्य ब्यूरो, देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने अपने पैतृक गांव जाकर नमक और तेल लगे काफल खाने की इच्छा व्यक्त की है। इस इच्छा के साथ ही उत्तराखंडियत के पैरोकार रावत ने चुनाव हारने की व्यथा भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंडियत के मायके लालकुआं में वह बुरी तरह पराजित हो गए। ऐसा लग रहा है कि जनता जैसे चुनकर उन्हें बूथ-दर-बूथ दंडित करने का इंतजार कर रही थी।

प्रधानमंत्री को उत्तराखंडियत के महत्व को स्वीकार करना पड़ा

इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने पार्टी के लिए उत्तराखंडियत का एक कवच तैयार किया, जिसका भेदन भाजपा नहीं कर पाई।

प्रधानमंत्री को खुद टोपी पहनकर उत्तराखंडियत के महत्व को स्वीकार करना पड़ा। हार-जीत होती रहती है, लेकिन विचार की हार नहीं होनी चाहिए। 2014 में उन्होंने जिस विचार को आगे बढ़ाया, वही उत्तराखंड में पलायन, बेरोजगारी, गरीबी, खाली होते गांवों की जिंदगी का समाधान है। वह राज्य में किसी को भी इस ओर बढ़ता हुआ नहीं देख रहे हैं।