बेलगावी: महाराष्ट्र (Maharashtra) और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। धारा 144 लागू होने के बावजूद महाराष्ट्र एकीकरण समिति और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा के नजदीक कोगनोली टोल प्लाजा (Kognoli Toll Plaza ) के पास विरोध प्रदर्शन किया। यहां सैकड़ों की भीड़ विरोध करने पहुंची थी। पुलिस का कहना है कि अधिकारी अलर्ट पर हैं।
हिरासत में लिए गए कार्यकर्ता
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के 300 से अधिक कार्यकर्ताओं को सीमा पर रोकते हुए कर्नाटक पुलिस ने वापस भेजा है। कुछ कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र पुलिस ने भी हिरासत में लिया है। राकांपा के हसन मुश्रीफ और शिवसेना के कोल्हापुर जिला अध्यक्ष विजय देवाने को कर्नाटक के बेलगावी में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए हिरासत में लिया गया है।
नहीं मिली महामेला की अनुमति
महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कार्यकर्ता पांच दशकों से अधिक समय से इस मुद्दे को उठा रहे हैं। समिति के कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है जिसे देखते हुए कर्नाटक पुलिस ने महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) को महामेला आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। शीतकालीन सत्र के पहले दिन एमईएस हर बार महामेले का आयोजन करती है। इस बार अधिकारियों ने कार्यक्रम के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
‘सरकार इसके पीछे है’
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत को ‘विभाजित’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, “केंद्र सरकार के कारण सीमा का मुद्दा हो रहा है। पीएम मोदी महाराष्ट्र को विभाजित करना चाहते हैं। दोनों मुख्यमंत्रियों और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक के बावजूद नेताओं को वहां जाने की अनुमति क्यों नहीं है? इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार इसके पीछे है।”
ये है विवाद
गौरतलब है कि, सीमा विवाद का मुद्दा 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद का है। महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। इसमें 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।