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कश्मीर में पंडितों और सिखों की हत्या से पसरा खौफ़, कई परिवार कर रहे हैं पलायन


  • 68 वर्षीय कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू की मंगलवार को श्रीनगर में हत्या कर दी गई थी

कश्मीर में हिन्दू और सिख शायद 2000 के शुरुआती दशक के बाद सबसे ज़्यादा ख़ुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तब कम से कम दोनों समुदायों के 50 लोगों को अलग-अलग दो जनसंहारों में मार दिया गया था. .

हाल में कश्मीर में चार ग़ैर मुसलमानों समेत सात आम नागरिकों की हत्या हुई, जिसके बाद ये डर फैलने लगा है कि कहीं घाटी में एक बार फिर 1990 के दशक जैसी स्थिति न पैदा हो जाए.

उस दौर में हज़ारों की संख्या में कश्मीरी पंडित घाटी में अपना घर-बार छोड़कर पड़ोसी राज्यों में जा बसे थे.

साल 1990 में घाटी में चरमपंथ बढ़ने के बाद केवल 800 कश्मीरी पंडितों के परिवार ही ऐसे थे, जिन्होंने यहां से न जाने का फ़ैसला किया.

संजय टिक्कू बताते हैं कि हाल के दिनों में कई परिवार घाटी छोड़ कर जा चुके हैंकश्मीरी पंडितों की हत्या

53 साल के संजय टिक्कू सालों से घाटी में बसे ऐसे कश्मीरी पंडितों की प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, जो राज्य छोड़ कर नहीं गए.

वो कहते हैं, “हां, ये स्थिति 1990 के दशक जैसी दिखती है क्योंकि आज मुझे वैसे ही डर का अनुभव हो रहा है, जैसा उस दौर में हुआ था. हाल के दिनों में कई परिवार घाटी छोड़ कर जा चुके हैं, कई परिवार पलायन की योजना बना रहे हैं.”

“कई परिवार डर में हैं और वो मुझे फ़ोन करते हैं. प्रशासन के अधिकारियों ने मुझे मेरे घर से निकाल कर किसी होटल में रखा है. लेकिन इस तरह के खौफ़ के माहौल में हम कैसे जी सकते हैं.”

साल 2003 में पुलवामा के सुदूर नंदीमार्ग गांव में 20 से अधिक कश्मीरी पंडितों की हत्या की घटना को याद करते हुए संजय टिक्कू कहते हैं कि सरकार असंवेदनशील हो गई है.

वो कहते हैं, “मैं सालों से चेतावनी देता आ रहा हूं. लेकिन एमएल बिंद्रू के मारे जाने तक उन लोगों की (सरकार की) नींद नहीं टूटी.”

एमएल बिंद्रू के अंतिम संस्कार के दौरान उनके परिजन और वहां इकट्ठा हुए लोग