- नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से दिया गया 40 का फारमूला पार्टी को कोई फायदा पहुंचाए या न पहुंचाए, विरोधी दलों की मुश्किलों में इजाफा जरूर करता दिख रहा है। वैसे कांग्रेस ने यह सियासी दांव काफी सोच-समझ कर खेला है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को इस दांव से फायदे की पूरी उम्मीद दिख रही है। खासकर तब, जब भाजपा उज्ज्वला योजना, शौचालय योजना, तीन तलाक जैसे मुद्दों को महिला सशक्तिकरण के नाम पर प्रचारित करने पर जोर दिए पड़ी है।
‘लडक़ी हूं, लड़ सकती हूं’ स्लोगन के साथ प्रियंका ने मंगलवार को यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की। राज्य की 403 विधानसभा सीटों का 40 फीसद का मतलब करीब 160 सीटों पर महिला उम्मीदवार। यूपी की सियासत को करीब से देख रहे जानकारों का कहना है कि यह घोषणा जिस सहजता से की गई, उस पर अमल करना उतना ही कठिन है।
यूपी में जहां कांग्रेस का संगठन मृतप्राय अवस्था में है, वहां 160 महिला उम्मीदवार ढूढऩा ही पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। यही स्थिति दूसरे दलों के सामने भी होने वाली है। पिछले दो चुनावों के ही आंकड़े देखें तो 2017 में बसपा ने 403 सीटों में से केवल 20 महिलाओं को टिकट दिया। वहीं 2012 में यह संख्या 33 थी। जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन ने 2017 में 33 महिलाओं को चुनाव लड़वाया था, जिसमें से 22 सपा की थीं और 11 कांग्रेस की। 2012 में सपा ने 34 महिलाओं को टिकट दिया था।
जानकार यह भी मान कर चल रहे हैं कि कांग्रेस को अपने इस दांव का कोई फायदा मिले या न मिले, लेकिन विरोधी दलों की मुश्किलें बढ़ा सकता है। खासकर सपा और बसपा। बसपा प्रमुख मायावती की तो प्रतिक्रिया भी आ गई, जिसमें उन्होंने इसे कांग्रेस का चुनावी स्टंट करार दिया है। जानकार मानते हैं कि कांग्रेस का यह दांव 2017 से 2021 के बीच यूपी में हुए विभिन्न चुनावों के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए है।