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‘केंद्र ने पद का नहीं किया सम्मान’, राहुल गांधी को पीछे बिठाने पर शरद पवार को क्यों याद आए अटल बिहारी और सुषमा स्वराज


मुंबई। लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल गांधी की सीट को लेकर सियासत गरमा गई है। राहुल को समारोह में पांचवीं पंक्ति में बिठाने पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला था और इसे छोटी मानसिकता का प्रमाण बताया था। अब एनसीपी (शरद गुट) के प्रमुख शरद पवार ने भी इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि राहुल गांधी को आखिरी पंक्ति में बिठाकर केंद्र ने विपक्ष के नेता के पद का सम्मान नहीं किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई की के अनुसार विपक्षी गुट महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि भले ही लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला, फिर भी संविधान के लिए खतरा अभी भी खत्म नहीं हुआ है।

पीएम पर संसद का सम्मान न करने का लगाया आरोप

पवार ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री संसद का सम्मान नहीं करते हैं और दावा किया कि वह बजट सत्र के दौरान एक दिन के लिए भी सदन में नहीं आए। राकांपा (शपा) प्रमुख ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग संसदीय प्रक्रियाओं की कम परवाह करते हैं। उन्होंने कहा, ‘केंद्र ने विपक्ष के नेता के पद का सम्मान नहीं किया। विपक्ष के नेता को आखिरी पंक्तियों में बैठाया गया।’

शरद पवार ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री एक संस्था हैं, उसी तरह विपक्ष के नेता भी एक संस्था हैं। पीएम पद की प्रतिष्ठा बरकरार रखनी है, इसी तरह नेता प्रतिपक्ष के पद की प्रतिष्ठा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। पवार ने कहा, ‘यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता (मल्लिकार्जुन) खड़गे या राहुल गांधी की प्रतिष्ठा का सम्मान किया जाएगा, क्योंकि सत्ता में बैठे लोग लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास नहीं करते हैं।’

अटल बिहारी और मनमोहन सिंह का दिया उदाहरण

पवार ने कहा कि जब वह अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान विपक्ष के नेता थे तो स्वतंत्रता दिवस समारोह में उनके बैठने की व्यवस्था कैबिनेट मंत्रियों के साथ थी। उन्होंने याद दिलाया कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज को कैबिनेट रैंक की सीट दी गई थी। इससे पहले कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में गांधी को पांचवीं पंक्ति में बिठाना पीएम मोदी की क्षुद्रता और लोकतांत्रिक परंपराओं के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है।