लखनऊ। समाजवादी पार्टी तीन सीटों के प्रत्याशियों के चयन में उलझ गई है। यह सीटें कैसरगंज, फतेहपुर व राबर्ट्सगंज हैं। इनमें अभी तक सपा अपने प्रत्याशियों का चयन नहीं कर पाई है। कैसरगंज व फतेहपुर लोकसभा सीट में तो पांचवें चरण में चुनाव होना है जिसके नामांकन की अंतिम तिथि तीन मई है।
विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए की प्रमुख सहयोगी समाजवादी पार्टी 80 में से 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 17 सीटों पर कांग्रेस व एक सीट पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।
सपा इनमें से 59 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। अब उसे फतेहपुर, कैसरगंज व राबर्ट्सगंज में प्रत्याशी घोषित करने हैं। सपा कैसरगंज में भाजपा के प्रत्याशी का इंतजार कर रही है। यहां पर तीन बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह का भाजपा में टिकट अभी फंसा हुआ है। सपा भी भाजपा के रुख को देखकर ही अपने पत्ते खोलेगी। हालांकि, सपा की ओर से पूर्व विधायक बैजनाथ दूबे व सपा नेता विनोद कुमार शक्ल नामांकन पत्र खरीद चुके हैं।
1996 से 2009 तक कैसरगंज सीट पर रहा सपा का दबदबा
यह सीट 1996 से 2009 तक लगातार सपा के पास रही है। इस सीट से लगातार चार चुनाव बेनी प्रसाद यादव जीत चुके हैं। 2009 के चुनाव में बृजभूषण सपा के टिकट से ही सांसद बने थे। इसके बाद 2014 व 2019 के चुनाव में उन्होंने यहां से कमल खिलाया था। चर्चा यह भी है कि अगर भाजपा से उनका टिकट कटता है तो उन्हें सपा अपना टिकट दे सकती है।
फतेहपुर में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल व पूर्व सांसद डॉ. अशोक पटेल के साथ ही अब तीसरा नाम पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के बेटे अजेय प्रताप सिंह का भी जुड़ गया है। अजेय वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव जन मोर्चा पार्टी से लड़ चुके हैं। उन्हें महज 7422 वोट मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
सपा को एनडीए के प्रत्याशी का इंतजार
वहीं, राबर्ट्सगंज सीट में भी सपा को एनडीए प्रत्याशी का इंतजार है। यह सीट एनडीए में अपना दल (एस) कोटे में है। यहां से अपना दल के पकौड़ी लाल कोल सांसद हैं। वे 2009 में सपा के टिकट से भी सांसद बन चुके हैं। यह सुरक्षित सीट है यहां से कोल बिरादरी के नेता को ही सपा लड़ाएगी। यहां पर सातवें चरण में चुनाव होना है जिसकी नामांकन प्रक्रिया सात मई से 14 मई तक चलेगी।