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कोरोना से जुड़ी मदद मांगने वालों का उत्पीड़न करने पर दंडात्मक कार्रवाई हो: सुप्रीम कोर्ट


  1. उच्चतम न्यायालय ने केंद्रों और राज्यों को यह निर्देश दिया है कि वे अपने मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों को यह सूचित करें कि कोविड के संबंध में सोशल मीडिया पर जानकारी पर रोक लगाने या किसी भी मंच पर मदद मांगने वाले व्यक्तियों का उत्पीड़न करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। न्यायालय ने कहा कि लोग इस ‘चुनौतीपूर्ण वक्त’ में, इन मंचों पर हताशा में अपने प्रियजनों के लिये मदद खोज रहे हैं, उनकी मुश्किलों को राज्य और उसके तंत्रों द्वारा कार्रवाई के जरिये और नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।

न्यायालय ने कहा कि वह यह जानकर ‘बेहद व्यथित’ हैं ऐसे मंचों पर मदद मांग रहे व्यक्तियों को यह आरोप लगाकर निशाना बनाया जा रहा है कि उनके द्वारा पोस्ट की गई जानकारी गलत है और सोशल मीडिया पर उसे अफरातफरी पैदा करने, प्रशासन को बदनाम करने तथा ‘राष्ट्रीय छवि’ को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से डाला गया है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को निशाना बनाए जाने को माफ नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिकायत करने वालों अथवा साथी नागरिकों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में मदद का प्रयास कर रहे लोगों पर अभियोजन अथवा गिरफ्तारी के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष खतरे को तत्काल खत्म किया जाये। रविवार देर रात अपलोड हुए 64 पन्नों के आदेश में न्यायालय ने कहा कि अगर मौजूदा आदेश के बावजूद यह सिलसिला जारी रहता है तो वह अवमानना न्यायाधिकार के तहत उपलब्ध शक्तियों के इस्तेमाल के लिये विवश होगा।

”केंद्र और राज्य सरकार सभी मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और पुलिस आयुक्तों को अधिसूचित करे कि सोशल मीडिया पर किसी भी सूचना को रोकने या किसी भी मंच पर मदद की मांग कर रहे लोगों का उत्पीड़न करने पर यह अदालत अपने न्यायाधिकार के तहत दंडात्मक कार्रवाई करेगी।” न्यायालय ने कहा, ‘रजिस्ट्रार (न्यायिक) को भी निर्देश दिया जाता है कि वह देश के सभी जिलाधिकारियों को इस आदेश की प्रति भेजें।’