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खरगे, राहुल, सिद्धारमैया और शिवकुमार पर कांग्रेस के चुनाव अभियान का दारोमदार


नई दिल्ली, । कर्नाटक चुनाव में अब तक सधे हुए रणनीतिक कदमों के साथ चुनाव अभियान को अपने सियासी ट्रैक पर रखने में सफल कांग्रेस के प्रचार अभियान का पूरा दारोमदार चार प्रमुख नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार पर निर्भर है।

चारों नेता मिलकर सभी 224 सीटों पर करेंगे रैलियां

इसीलिए, पार्टी ने चुनाव अभियान की ऐसी रणनीति बनाई है कि सूबे की सभी 224 विधानसभा सीटों को ये चारों नेता मिलकर प्रचार के दौरान कवर करेंगे। इसमें सबसे अधिक सभाएं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार की होंगी जो 70 से अधिक विधानसभा सीटों पर रैलियां करेंगे। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी 10 से 12 दिन कर्नाटक के चुनाव अभियान में लगाएंगे और इस दौरान 30-35 सीटों पर उनकी सभाएं होंगी।

चुनावी मुद्दों पर सतर्क कांग्रेस

चुनाव को मुख्य मुद्दों से भटकने न देने को लेकर बेहद सतर्क कांग्रेस ने अपने तमाम नेताओं को कर्नाटक के स्थानीय मुद्दों तक ही चुनाव प्रचार को केंद्रित रखने की विशेष हिदायत दी है।कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों में शामिल वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार, चुनाव प्रचार के आखिरी दिन आठ मई तक सूबे की सभी सीटों पर इन चारों शीर्ष नेताओं की सभाएं हो जाएं, इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।

कांग्रेस की चुनावी तैयारियां

डीके शिवकुमार के बाद मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया करीब 60 विधानसभा सीटों पर सभाएं करेंगे। राहुल गांधी चुनाव की घोषणा के बाद अब तक चार दिन कर्नाटक के प्रचार में लगा चुके हैं। पार्टी की तैयारियों के अनुसार, अभी छह से आठ दिन और सूबे का दौरा करेंगे। इस दौरान करीब 35 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी रैलियां होंगी।

प्रियंका गांधी कर्नाटक के प्रचार अभियान में उतर रही

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए अपने गृह राज्य कर्नाटक में चुनावी कामयाबी प्रतिष्ठा का सवाल है। इसलिए, वह अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रहे। पार्टी हलकों से मिले संकेतों से साफ है कि खरगे चुनाव अभियान तक करीब पूरे समय कर्नाटक में ही डटे रहेंगे और उनकी 40 से अधिक सीटों पर रैलियां होंगी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी मंगलवार से कर्नाटक के प्रचार अभियान में उतर रही हैं। उनकी रैलियां और रोड शो अधिकाधिक संख्या में कराई जा सके, पार्टी इस प्रयास में जुटी है।

असल चुनौती पीएम मोदी के प्रचार अभियान में उतरने के बाद आएगी सामने कर्नाटक के चुनाव प्रचार अभियान में अब तक अपने सियासी नरेटिव के ईद-गिर्द रखने में कामयाब पार्टी रणनीतिकारों के अनुसार असल चुनौती 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रचार अभियान में उतरने के बाद सामने आएगी।

इन मुद्दों को नहीं उठाएगी पार्टी

पार्टी इस आशंका को नकार नहीं रही कि पीएम चुनावी विमर्श को सूबे के सियासी ट्रैक से बाहर निकालने की भरपूर कोशिश करेंगे ताकि भाजपा को चुनाव में असहज कर रहे मुद्दों से बचाया जा सके। लेकिन, पार्टी की पूरी तैयारी है कि हम ऐसे मुद्दों को नहीं उठाएंगे, जिससे पीएम को कर्नाटक के बाहर के या राष्ट्रीय मुद्दों पर सियासी दांव खेलने का मौका मिले।

भ्रष्टाचार से लेकर लोगों से जुड़े मुद्दे

सियासी विस्फोट के खतरे वाले मुद्दों से बना रही दूरी इसके मद्देनजर कांग्रेस के तमाम स्थानीय नेता ही नहीं स्टार प्रचारक भी अपने चुनावी भाषणों में कर्नाटक की भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार से लेकर लोगों से जुड़े मुद्दे ही उठा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अपराधी सरगना अतीक हत्याकांड को पार्टी नहीं उठा रही है।

इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप राज्यपाल सतपाल मलिक के पुलवामा हमले को सुरक्षा-खुफिया विफलता बताने के मसले को भले कांग्रेस राष्ट्रीय मंच से जोर-शोर से उठा रही है, लेकिन कर्नाटक के चुनाव प्रचार में पार्टी की ओर से इसका जिक्र तक नहीं किया जा रहा है। इससे साफ है कि कांग्रेस कर्नाटक के चुनाव अभियान में सियासी विस्फोट के खतरे वाले मुद्दों से दूरी बनाए रखने की रणनीति को ही अपने लिए मुफीद मान रही है।