क्या कहते हैं गीताप्रेस के प्रबंधक
गीताप्रेस के प्रबंधक डा. लालमणि तिवारी ने बताया कि गीता प्रेस की स्थापना के समय ही इसके संस्थापक सेठजी जयदयाल गोयंदका ने तय कर दिया था कि इस प्रेस को संचालित करने के लिए किसी भी तरह का सहयोग या चंदा नहीं लिया जाएगा। इसलिए गीता प्रेस कोई अनुदान या पुरस्कार की धनराशि स्वीकार नहीं करता है। प्रेस गांधी शांति सम्मान की धनराशि नहीं लेगा लेकिन सम्मान सहर्ष स्वीकार करेगा।
संस्कृति मंत्रालय ने किया है पुरस्कार का एलान
बता दें कि संस्कृति मंत्रालय ने एलान किया है कि गांधी शांति पुरस्कार-2021 गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रदान किया जाएगा। रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का फैसला किया गया। गीता प्रेस को यह पुरस्कार सामाजिक, आर्थिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है। 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इनमें 16.21 करोड़ श्रीमद् भगवद गीता शामिल हैं। संस्था ने राजस्व के लिए कभी भी प्रकाशनों में विज्ञापन नहीं छापा।