गुजरात में कोरोना संकट के बीच अभी भले ही लॉकडाउन नहीं लगाया गया हो, लेकिन लॉकडाउन की अफवाह के खौफ से रोजाना सूरत से हज़ारों लोग अपने-अपने घरों को रवाना हो रहे हैं. पिछले तीन दिनों में 15 हजार से अधिक लोग अपने घर लौट चुके हैं.
रेलवे में यात्रा की सख्ती के बाद बसों पर बोझ बढ़ रहा है. रोज़ाना 100 से ज़्यादा बसें सूरत से यूपी-एमपी जा रही हैं. गुजरात में रहने वाले श्रमिक परिवार एक बार फिर से अपना घर बार छोड़कर गांव जाने को मजबूर हुए हैं. औद्योगिक क्षेत्र कहे जाने वाले पांडेसरा इलाक़े से हर रोज़ बसों के जरिए हज़ारों की तादाद में श्रमिक अपने अपने राज्य की तरफ़ पलायन कर रहे हैं.
सूरत में पिछले तीस वर्षों से रोजी-रोटी कमा रहे नज़ीर शेख़ अपने परिवार के साथ सूरत से अपने राज्य उत्तर प्रदेश रवाना हो गए. नज़ीर बताते हैं कि एक महीने से काम धंधा बंद है और घर चलाना मुश्किल हो गया है. हर दिन कोई ना कोई ऐसी बात सामने आती है, जिससे लगता है कि सरकार कभी भी लॉकडाउन लगा देगी. शहर में रोज़ कोरोना से मौतें हो रही हैं. भय का माहौल है, इसलिए अपने गांव जा रहे हैं.
नज़ीर शेख़ जैसे हजारों मज़दूर हैं, जो सूरत से अपने गांव की तरफ़ पलायन कर रहे हैं. गौरतलब है कि सूरत में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. प्रशासन ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पहले रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ़्यू लगाया. फिर नाइट कर्फ़्यू रात 9 बजे और अब रात 8 बजे से कर दिया गया है.
कोरोना को लेकर कड़ाई में हर दिन नए नियम बनाए जा रहे हैं. कोरोना का क़हर सूरत शहर में इस कदर है कि अस्पतालों में इलाज के लिए पर्याप्त जगह नहीं है. अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और बेड तक कोरोना मरीज़ों को नहीं मिल रहे हैं. यही कारण है कि लोगों में इस बात का डर है कि कहीं फिर से पिछले साल की तरह वापस से लॉकडाउन ना लग जाए. पिछली बार का कड़वा अनुभव ले चुके लोग इस बार समय रहते ही अपने घरों को पलायन कर रहे हैं.
सूरत के पांडेसरा, गोडादरा, कडोदरा जैसे कई अन्य इलाकों से रोजाना लगभग 100 बसें चलाई जा रही हैं. ये बसें मुख्यत: जौनपुर, प्रतापगढ़, वाराणसी, बांदा, गोरखपुर, बलिया समेत बिहार और झारखंड के तमाम जिलों के लिए भी चल रही हैं.