पटना

घायल परशुराम यादव ने सुनाई आपबीती- आंख के सामने बेटा और भतीजा गोली लगने से मरता और घायल होता देख पथरा गयी है आंखें


      • बेटे को गोली लगने से गिरता देख जब वह दौड़े तो उन्हें भी मार दी गयी गोली
      • राजगीर श्मशान पर एक साथ जली पांच चिताएं
      • सौतेले भाई के बेटे ने दिया इस जघन्य कांड को अंजाम

बिहारशरीफ (आससे)। छबिलापुर के लोदीपुर जहां एक हीं परिवार के पांच लोगों की हत्या हुई और चार लोग घायल हुए में माहौल गमगीन बना हुआ है। शुक्रवार को राजगीर के श्मशान घाट पर एक साथ पांच चिताएं जली जहां परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल था।

घटना के चश्मदीद परशुराम यादव जिनके दो बेटे को उनके सामने गोली मारकर हत्या कर दी गयी का हाल काफी बुरा है। उन्होंने घटना के संदर्भ में बताया कि गोली की आवाज सुनकर वे भौचक्क रह गये। उन्होंने देखा कि उनके एक बेटे को गोली लगी है। इसके बाद वे दौड़कर अपने बेटे के पास पहुंचे। इसके बाद उनपर भी गोलियां चलायी गयी और वे भी जख्मी हो गये। एक और बेटा वहीं पर ढेर हो गया, जबकि एक बेटे के सर को छूते हुए गोली निकल गयी।

परशुराम यादव का रो-रो कर बुरा हाल है। वह बताते है कि उनका घर ही उजड़ गया। जवान पोतियां शादी करने को है और घर में कमाने वाला कोई आदमी नहीं बचा। इस हादसे में परशुराम यादव का भतीजा यदु यादव, पोता पिंटू यादव, मधेश यादव, बेटा धीरेंद्र यादव और शिवल यादव की मौत हुई। जबकि भतीजा बिंदा यादव, बेटा मिट्ठू यादव, पोता अतुल जख्मी हुआ।

परशुराम यादव की मानें तो उनके पिता स्व. जितु यादव ने दो शादियां की थी। एक से स्व. जगदेव यादव, स्व. रामरूप यादव तथा परशुराम यादव (वे खुद) तीन भाई थे, जबकि दूसरी पत्नी से रामरूप यादव थे और रामरूप यादव ही घर के मुखिया थे। और वही खेतीबारी के मालिक थे। वे लोग मजदूर की भांति काम करते थे, लेकिन जब बंटवारे का समय आया तो बात बिगड़ने लगी। मामला कोर्ट में चला गया और खेत परती रहने लगी। लगभग 50 बीघा जमीन का मामला था।

अप्रैल महीने में थाना में दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ, जिसमें बात बनी कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता तब तक कोई भी लोग इसे नहीं जोतेगा, लेकिन बुधवार को महेंद्र यादव का बेटा बाहरी लोगों को बुलाकर खेत की जुताई शुरू कर दी। वे लोग समझ नहीं पाये और मना करने पहुंच गये। इसी बीच बाहर से लाये अपराधियों के कहने पर अचानक हमला बोल दिया और इस घटना को अंजाम दे दिया।