पड़ाव। गंगा तट स्थित डोमरी गांव में सतगुरु धाम आंजनेय मंदिर के प्रांगण में स्वामी कृष्णायन जी महाराज के सानिध्य में कलश स्थापना के साथ साथ नव नौ रात्रिओं का शक्ति जागरण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर कृष्णानंद महाराज ने दूरस्थ क्षेत्रों से आए हुए स्वर व प्रेम साधना के साधकों को उद्बोधन करते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य के शरीर में नौ द्वार हैं दो आंखें दो कान दो ना सिधमुख जननांग तथा मलद्वार ये ही नौ द्वारों से व्यक्ति के शरीर में विश्वकल्याण मूलक वस्तुएं भाव तत्व प्रवेश करती हैं तथा विश्वव विध्वंसक वस्तुएं भाव तथा तत्व बाहर भी आती है। संयोग से नवरात्रियो का भी उल्लेख मिलता है सद्गुरु अपने कर्षण शक्ति से साधक की नकारात्मकता को प्रत्येक रात्रि में एक एक अलग अलग द्वार से बाहर निकालने में सहयोग करते हैं मूलाधार स्थित मलद्वार का सर्वप्रथम रात्रि में उन्नयन की स्थिति बनती है मूलाधार चक्र ही अति महत्वपूर्ण है इसी तरह प्रत्येक रात्रि की साधना में सद्गुरु उत्कृष्ट स्तर के साधक को चक्र वेधन में मदद करते हैं पूरे नवरात्रि में नौ द्वारों को शुद्ध करके सद्गुरु मूलाधार चक्र स्थिति प्रसुप्त कुंडलिनी को सहस्त्रार स्थिति शिव से संयुक्त होने में साधक की मदद करते हैं स्वर साधना के अनुप्रयोग व शारीरिक प्राणिक क्रियाओं से शक्ति जागरण से पूर्ण चक्र पूर्ण करने मैं मददगार होता है।
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