मुगलसराय। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) ने रेलवे में संपत्ति के मुद्रीकरण के केन्द्र सरकार के फैसले पर गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हुए रेल कर्मचारियों से १३ से १८ तक विरोध सप्ताह मनाते हुए निरंतर संघर्ष शुरू करने और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और रैलियां आयोजित करने का आह्वान किया है। एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम. रघुवैया ने एक पत्र जारी कर उक्त आह्वान करते हुए आगे बताया कि सरकार द्वारा घोषत मुद्रीकरण नीति सरकार के प्रभार के तहत मेगा सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री को इंगित करती है जिसमें भारतीय रेलवे सहित सभी प्रमुख क्षेत्र जैसे सड़क, परिवहन, बिजली, दूरसंचार, भंडारण, खनन, विमानन, बंदरगाह, स्टेडियम आदि शामिल है और यहां तक कि अर्बन रियल स्टेट को भी नहीं छोड़ा है। नीति बनाते समय सरकार इस लक्ष्य को भूल गयी कि ये महत्वपूर्ण संपत्ति देश की है किसी की व्यक्तिगत नहीं। यूनियन ने भारत सरकार की कार्यवाही को जन विरोधी गरीब विरोधी बताया है। कहाकि देश के नागरिकों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। महामंत्री डा एम रघुवैया आश्चर्य चकित है कि सरकार भारतीय रेलवे की भूमिका को पहचानने में विफल रही है। जो राष्ट्र की जीवन रेखा है यह सभी नागरिकों क ो खासकर गरीबों को सेवाएं प्रदान कर रही है। फेडरेशन सरकार को याद दिलाता है कि भारत के २.३० करोड़ से अधिक लोग प्रतिदिन रेलवे यात्री ट्रनों से यात्रा करते हैं। और कोरोना काल के बीच १२३३ मिलियन टन से अधिक माल ढुलाई करके महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कहा कि केन्द्र सरकार भारतीय रेलवे और उसके कार्य बल को पुरस्कृत करने के बजाय एकाधिकार वादियों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए रेल सम्पत्ति का मुद्रीकरण किया जाा रहा है।