लखनऊ, । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में कृषि पर पार्टी का श्वेत पत्र जारी किया। श्वेत पत्र का शीर्षक है ‘आमदनी न हुई दोगुनी दर्द सौ गुना’। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी की जाएगी। केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की किसान विरोधी नीतियों की वजह से किसानों की आमदनी दोगुगी होना तो दूर की बात रही, खेती की लागत बढ़ती चली गई। आज प्रदेश में किसान की औसत आमदनी सिर्फ 27 रुपये है और प्रत्येक किसान पर औसत कर्ज 74000 रुपये हो गया है। मोदी सरकार नया भूमि अर्जन कानून लेकिन कांग्रेस के विरोध के चलते तीन बार अध्यादेश निरस्त करना पड़ा। प्रधानमंत्री ने जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास किया लेकिन परियोजना के लिए जिन किसानों की जमीनें ली गई, उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिला। कड़कड़ाती ठंड में किसान पॉलीथीन शीट के नीचे रहने को मजबूर हैं।
सरकार ने ट्रैक्टर और कृषि यंत्रों पर जीएसटी लगाया। पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ने का प्रभाव भी कृषि की लागत पर पड़ा। उत्पादन लागत ज्यादा बढ़ी है और आय में वृद्धि कम हुई है। ऐसे में आमदनी दोगुनी करने का वादा बेमानी है। एनएसएसओ के आंकड़े बताते हैं कि किसान अपनी आजीविका के लिए मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं। उन्हें खेती से होने वाली आय मजदूरी से होने वाली आमदनी से कम है।
गाय को लेकर उत्तर प्रदेश में खूब राजनीति हुई। लोगों ने मवेशी रखना बंद कर दिया है और वे खुले में घूम रहे हैं। किसान या तो बाड़ लगाकर या फिर रतजगा कर अपनी फसल बचा रहे हैं। इससे भी कृषि लागत बढ़ी है गोशालाओं में गायें मर रही हैं लेकिन गौशाला चलाने वाले मोटे जरूर हो रहे हैं। सत्तर के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आह्वान पर अन्नदाताओं ने हरित क्रांति लाकर देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया।