छत्तीसगढ़में अबतक का सबसे बड़ा नक्सलियोंका सलेंडर
रायपुर (एजेंसी)। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कोयलीबेडा थाना क्षेत्र में 100 से ज्यादा नक्सलियों के सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण करने की खबर सामने आ रही है। हालांकि इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। अधिकारी फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं। चर्चा है कि कोयलीबेडा थाना क्षेत्र के कामतेड़ा बीएसएफ कैंप में करीब 100 से ज्यादा नक्सलियों ने हथियार के साथ सरेंडर किया है। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में अब तक का ये सबसे बड़ा नक्सलियों का सरेंडर है। इस मामले में एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि बीएसएफ कैंप में दो बसें आ रही हैं। फिर उसके पीछे तीन कार आ रही हैं। इसके बाद एक पुलिस की गाड़ी दिख रही है। आस-पास फोर्स के जवान तैनात हैं। चारों तरफ से सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद दिख रही है। बैरिकेड्स भी लगाये गये हैं। सूत्रों के मुताबिक, नक्सली गेंडाबेड़ा गांव तक पैदल चलते हुए आए और फिर पुलिस की बस में बैठकर बीएसएफ कैंप तक पहुंचे। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में रावघाट एरिया कमेटी के टॉप नक्सली लीडर राजू सलाम,मीना, प्रसाद,भास्कर समेत 100 से ज्यादा नक्सली शामिल हैं। ये सभी नक्सली बीती शाम को सरेंडर करने वाले थे, लेकिन किसी कारण से आज बुधवार दोपहर को सरेंडर करने पहुंचे। फिलहाल, ये मालूम नहीं चला है कि किस नक्सली के ऊपर कितने रुपये का इनाम है। चर्चा है कि पुलिस इन सभी नक्सलियों का पहले रिकॉर्ड खंगालेगी और संभवत: कल या परसों इस संबंध में जानकारी दी जायेगी। सुरक्षा के मद्देनजर पत्रकारों को कवरेज से रोका गया है। बताया जाता है कि ये सभी नक्सली रावघाट एरिया कमेटी और माड़ डिवीजन में सक्रिय थे। माना जा रहा है कि इन सभी नक्सलियों के सरेंडर करने से कांकेर जिला नक्सलमुक्त हो जाएगा। सुकमा जिले में बुधवार को कुल 27 सक्रिय माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 50 लाख रुपये के इनामी नक्सली भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में पीएलजीए बटालियन नंबर-एक के दो हार्डकोर सदस्य, एक सीपीआई (माओवादी) डिवीजन स्तर का कैडर, एक पार्टी कार्यकर्ता और 11 संगठनात्मक सदस्य शामिल हैं। सभी ने सुकमा जिला मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के सामने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई आत्मसमर्पण करने वालों में 10 महिलाएं और 17 पुरुष माओवादी शामिल हैं। प्रशासन के अनुसार, आत्मसमर्पित नक्सलियों पर अलग-अलग स्तर पर इनाम घोषित था। एक पर 10 लाख, तीन पर आठ-आठ लाख रुपये, एक पर तीन लाख रुपये, दो पर दो-दो लाख रुपये और नौ पर एक-एक लाख रुपये। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लगातार चल रही छत्तीसगढ़ नवसंकल्प आत्मसमर्पण नीति और नियत नेल्ला नार योजना का असर अंदरूनी इलाकों में साफ दिखाई दे रहा है। इस आत्मसमर्पण अभियान को सफल बनाने में जिला पुलिस बल, डीआरजी, एसटीएफ, बीजापुर-सुकमा इंटेलिजेंस शाखा और सीआरपीएफ की 74, 131, 151, 216, 217 व 203 बटालियन की अहम भूमिका रही। पुलिस ने बताया कि नक्सल संगठन में बढ़ती अव्यवस्था, आर्थिक शोषण और हिंसक गतिविधियों से असंतुष्ट होकर इन माओवादियों ने यह कदम उठाया। सभी आत्मसमर्पित कैडरों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत सुरक्षा और आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
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