चंडीगढ़। Mohali Attack: पंजाब पुलिस के खुफिया विभाग के मुख्यालय (Intelligence Office) पर हुए हमले के तार जम्मू-कश्मीर से भी जुड़ सकते है। विस्फोट के लिए राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) का इस्तेमाल किया गया। आरपीजी का प्रयोग जम्मू-कश्मीर के आतंकी करते हैं या आम तौर पर पाकिस्तान या अफगानिस्तान में इसका प्रयोग किया जाता है।जानकार बताते हैं कि पंजाब में तो आतंकवाद के दौर में भी आरपीजी का इस्तेमान नहीं किया जाता था।
पुलिस की जांच इस दिशा में भी जा रही है कि आरपीजी को दूसरे राज्य या जम्मू-कश्मीर से मंगवाया गया होगा और इसे चलाने वाला स्थानीय अपराधी हो सकता है। उसे बाकायदा ट्रेfनिंग दी गई हो, क्योंकि आरपीजी चलाने वाले का निशाना भले कुछ इंच से चूक गया हो लेकिन 80 से 90 फीट की दूरी से जिस प्रकार से कमरा नंबर 41 को निशाना बनाया गया है उस तरह निशाना लगाने वाला कोई पहली या दूसरी बार ऐसा काम करने वाला अपराधी नहीं हो सकता है।
तीसरी मंजिल पर स्थित कमरा नंबर 41 ही था जहां पर लाइट जल रही थी और उसके पास सड़क पर स्ट्रीट लाइट की रोशनी नहीं पहुंच रही थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार 90 फीट की दूरी से तीसरी मंजिल पर निशाना साधना किसी नौसिखिया के लिए आसान नहीं हो सकता है।
एक मीटर मोटी कंक्रीट की दीवार भेद सकता है आरपीजी
पंजाब पुलिस के खुफिया विभाग के मोहाली स्थित मुख्यालय को जिस हथियार से निशाना बनाया गया, वह एक मीटर मोटी कंक्रीट की दीवार भेद सकता है। इसके अलावा यह 400 मिलीमीटर (एमएम) मोटी स्टील की परत को भी काट सकता है। आरपीजी यानी राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड वास्तव में एक राकेट चलित ग्रेनेड है, जिससे ग्रेनेड को 700 मीटर दूर तक फेंका जा सकता है। इसे कंधे पर रखकर राकेट लांचर से दागा जाता है। यह टैंक-रोधी हथियार प्रणाली है। मोहाली हमले में इस्तेमाल हथियार आरपीजी-22 श्रेणी का है, जिसे ‘नेटो’ भी कहा जाता है।
रूस में निर्मित है हथियार
- -हमले में इस्तेमाल हथियार रूस में निर्मित है। इसे 1970 के आसपास विकसित किया गया।
- -पहली बार इसका इस्तेमाल उत्तरी आयरलैंड में आतंकवाद विरोधी अभियान में किया गया था।
- -यह लगभग 10 सेकेंड में फायर करने में तैयार हो जाता है।
- -इसका बाहरी हिस्सा फाइबर ग्लास से बना है, जिस कारण यह हल्का होता है।
- कैसे करता है काम
- -लांचर से दागने के बाद निकला ग्रेनेड प्रोपेलर के सहारे तेजी से आगे बढ़ता है।
- -आरपीजी-22 दो भागों से बना है। एक मुख्य ट्यूब व दूसरा टेलीस्कोपिंग फार्वर्ड एक्सटेंशन, जो बैरल पर स्लाइड करता है।
- -ग्रेनेड को बैरल ट्यूब में रखा जाता है। इससे ग्रेनेड 700 मीटर तक दूर जा सकता है।
- -इसका लांचर किसी बड़ी बंदूक की तरह होता है।
- -इसे आसानी से उठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।
- अब तक कहां-कहां हुआ इस्तेमाल।
- -सोवियत युद्ध- अफगानिस्तान।
- -इराक गृह युद्ध।
- -रूस-यूक्रेन युद्ध।
- -रूस-जार्जिया युद्ध।
- -सीरिया गृहयुद्ध।
- -तालिबान भी करता है इस्तेमाल।
- इससे टैंक, बख्तरबंद गाड़ी, हेलीकाप्टर या विमान को ध्वस्त किया जा सकता है। ऐसे हथियार का प्रयोग अफगानिस्तान में तालिबान ने अमेरिकी सेना पर किया।