आरबीआई का यह निर्देश ऐसे समय आया है जब भारत, रूस के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक चैनलों का इस्तेमाल कर रहा है। भुगतान इसमें सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि रुपया केंद्रित व्यापार चक्र बनाना एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है और इसमें समय लग सकता है। लेकिन यह भारतीय रुपये के वैश्वीकरण में मदद करेगा।
वोस्ट्रो अकाउंट खोलने पर जोर
आरबीआई ने बैंकों से भारतीय रुपये में स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट खोलने के बारे में पूछा था। इस संबंध में बैंकों का कार्य, योजना के मुताबिक थोड़ा धीमा पाया गया। वहीं, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य विभाग और व्यापार निकायों से कहा गया है कि इसे लेकर जागरूकता कैंपेन चलाया जाए और सभी अपने साझेदारों को इस फ्रेमवर्क के साथ जोड़ें।
ऐसे काम करेगा नया फ्रेमवर्क
नए फ्रेमवर्क के अंतर्गत सरकार की ओर से नियुक्त आधिकारिक डीलर, जिस देश के साथ रुपये में व्यापार किया जा रहा है, उसका बैंक वोस्ट्रो अकाउंट भारत में खोलेगा। भारतीय आयातकों को उस देश को भुगतान करने के लिए इस अकाउंट में पैसे जमा करने होंगे। वहीं, निर्यातकों को वोस्ट्रो अकाउंट में मौजूद पैसों से ही भुगतान किया जाएगा।
ये देश रुपये में करना चाहते हैं व्यापार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका, अर्जेंटीना और जिंबाब्वे कुछ ऐसे देश हैं जो भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार भारतीय रुपये में करना चाहते हैं। इसके अलावा कुछ अफ्रीकी और यूरोपियन देश भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
रुपये को होगा बड़ा फायदा
जानकारों का कहना है कि अगर भारत का द्विपक्षीय व्यापार रुपया केंद्रित हो जाता है, तो भविष्य में भारतीय रुपये को इससे बड़ा सहारा मिलेगा। डॉलर पर निर्भरता कम होने से हमारी मुद्रा भी मजबूत होगी और इससे बैलेंस ऑफ पैमेंट की समस्या में भी कमी आ सकती है।