रांची। : झारखंड में भाजपा-आजसू पार्टी गठबंधन की वजह से उम्मीद की जा रही थी कि कुर्मी समुदाय का वोट भाजपा प्रत्याशियों को जाएगा, क्योंकि आजसू की इस समाज पर गहरी पकड़ रही है। इस बीच कुर्मी समाज के नए नेता जयराम महतो के उभार ने कई सीटों पर कुर्मी मतों में सेंधमारी की।
गिरिडीह, धनबाद और हजारीबाग में इस समुदाय के पक्ष में आंदोलन करने वाले जयराम महतो समर्थित उम्मीदवारों ने तो 60 हजार से लेकर 1.5 लाख तक वोट हासिल किए। हारने के बाद भी झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) के उम्मीदवार इस चुनाव में अपनी धमक दिखा गए। गिरिडीह में तो जेबीकेएसएस के अध्यक्ष जयराम महतो को तीन लाख से अधिक वोट मिले।
वहीं, रांची लोकसभा क्षेत्र में जेबीकेएसएस की ओर से खड़े निर्दलीय प्रत्याशी देवेन्द्र महतो को 1.32 लाख वोट मिले। इसे राज्य में एक नए क्षेत्रीय दल के उभार के साथ ही आजसू जैसी पार्टियों के लिए भी चुनौती केरूप में भी देख जा रहा है।
साथ ही भाजपा-आजसू पार्टी के गठबंधन पर भी इसके असर का आकलन किया जा रहा है। कुर्मी समुदाय के वोट पर आजसू प्रमुख सुदेश महतो को तेजी से उभरे जयराम महतो से चुनौती मिली है।
सिंहभूम और खूंटी में भी आजसू से गठबंधन का नहीं मिला लाभ
खूंटी से भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा चुनाव हार गए। उन्हें तमाड़ विधानसभा में भी अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा से पिछड़ना पड़ा। तमाड़ में कुर्मी समुदाय की अच्छी आबादी है। वोट के समीकरण को देखें तो अर्जुन मुंडा को इस समुदाय का वोट नहीं मिल पाया।
हालांकि यहां जयराम महतो ने किसी प्रत्याशी को समर्थन नहीं किया था, लेकिन आजसू पार्टी वोट ट्रांसफर नहीं करा पाई। आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने खूंटी के सभी क्षेत्र में अर्जुन मुंडा के पक्ष में प्रचार किया था। गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में आजसू पार्टी के प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी खड़े थे, उन्हें जीत तो मिली लेकिन जयराम महतो को यहां तीन लाख से ज्यादा वोट मिले।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को बदलनी होगी रणनीति
इसी साल झारखंड विधानसभा के चुनाव होंगे। आजसू पार्टी से 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का गठबंधन नहीं था। 2024 के चुनाव में आजसू पार्टी से गठबंधन की स्थिति में भी जयराम महतो फैक्टर से भाजपा को सामना करना होगा।
हालांकि, भाजपा अपने दल के कुर्मी नेताओं को भी आगे करने की योजना बना रही है। चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा में कुछ कुर्मी नेताओं के पद दिए जाए जा सकते हैं।