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झारखंड में NIA की बड़ी कार्रवाई PLFI हेड की निशानदेही पर तीन जिलों से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार जब्त


रांची, राज्य में टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने सोमवार और मंगलवार को झारखंड पुलिस के सहयोग से बड़ी कार्रवाई की है। PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप की निशानदेही पर खूंटी, गुमला और सिमडेगा से NIA ने भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और कारतूस की जब्त की है।

एनआइए ने दिनेश गोप को 21 मई को गिरफ्तार किया था। वह आठ दिनों तक एनआइए की रिमांड पर रहा। एनआइए की रिमांड के दौरान ही उससे मिले इनपुट के आधार पर यह बरामदगी हुई है।

अधिकृत रूप से जारी बयान में एनआइए ने बताया है कि सोमवार को खूंटी जिले में रनिया थाना क्षेत्र के गराई झरियाटोली से झारखंड पुलिस के सहयोग से एनआइए ने 62.3 किलोग्राम जिलेटिन और 5.56 एमएम के 732 कारतूस जब्त किया था।

उसी दिन गुमला जिले के कामडारा थाना क्षेत्र के किसनी गांव से एक पिस्टल, 5.56 एमएम 11 कारतूस और 303 एमएम के 30 कारतूस भी जब्त किया था। वहीं, सुरक्षा बलों ने मंगलवार को सिमडेगा के महाबुआंग थाना क्षेत्र के महुआटोली जंगल से दो आइईडी भी जब्त किया था।

यह एक सप्ताह के भीतर बड़ी जब्ती में शामिल था। 26 मई को एनआइए ने झारखंड पुलिस के सहयोग से दिनेश गोप की निशानदेही पर खूंटी क्षेत्र से 7.62 एमएम के 1245 कारतूस और 5.56 एमएम के 271 कारतूस जब्त किया था।

टेरर फंडिंग केस में चार्जशीटेड था दिनेश गोप

500 और 1000 के पुराने नोट की बंदी के बाद रांची के बेड़ो में 25.38 लाख रुपये के पुराने नोट पकड़े गए थे। ये रुपये दिनेश गोप के थे। बेड़ो थाने में दर्ज उक्त केस को टेकओवर करते हुए एनआइए ने साल 2018 में केस दर्ज करते हुए जांच शुरू की थी।

इस मामले में दिनेश गोप उर्फ कुलदीप यादव उर्फ बड़कू चार्जशीटेड था। वह फरार था, जिसे एनआइए ने 21 मई को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसे 22 मई को एनआइए की विशेष अदालत में प्रस्तुत किया गया था। दिनेश गोप पर एनआइए ने पांच लाख रुपये का इनाम रखा था, जबकि झारखंड सरकार ने उसपर 25 लाख रुपये का इनाम रखा था।

दिनेश गोप लेवी-रंगदारी से आने वाले रुपयों से विस्फोटक, हथियार खरीदता था और अपने सदस्यों के माध्यम से व्यवसायियों, ठेकेदारों और आम लोगों में भय उत्पन्न करने के लिए हमले करवाता था।

उसने नोटबंदी के वक्त पुराने नोट अपने व्यवसायिक सहयोगियों, पेट्रोल पंप संचालकों के माध्यम से जमा कराने की कोशिश की थी, जिसमें नोटों की जब्ती हुई थी। वह लेवी-रंगदारी में मिलने वाली राशि को बैंकिंग चैनल, शेल कंपनियों के माध्यम से निवेश करवाता था। इसमें उसके करीबियों के अलावा उसके पारिवारिक सदस्यों का भी सहयोग मिलता था।

पूर्व में झारखंड लिबरेशन टाइगर्स (जेएलटी) बाद में पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया (पीएलएफआइ) ने झारखंड, बिहार व ओडिशा में 100 से अधिक घटनाओं को अंजाम दिया। इनमें हत्या की घटनाएं सर्वाधिक हैं।

बेरोजगार युवकों को करते थे संगठन में शामिल

एनआइए के अनुसंधान में यह तथ्य भी सामने आया है कि दिनेश गोप और उसके संगठन के सदस्यों की नजर बेरोजगार युवकों पर रहती थी, जिन्हें वे मोटरसाइकिल, मोबाइल और रुपये देते थे और उनका इस्तेमाल आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलाने में करते थे।