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तब्लीगी जमात: कोरोना ‘फैलाने’ को लेकर किए गए बदनाम, अब कोविड पीड़ितों के शव का कर रहे अंतिम संस्कार


  • अमरावती. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus In India) की पहली लहर के दौरान बीते साल तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के लोगों की छवि खराब की गई. दावा किया गया कि इन्हीं के चलते संक्रमण फैला. हालांकि अदालतों ने तब्लीगी जमात के लोगों को रिहा किया. इसके साथ ही कहा कि उन पर गलत आरोप लगाए गए. अब आंध्र प्रदेश के तिरुपति (Covid19 In Tirupati) में कोरोनोवायरस रोगियों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया है.
समाचार एजेंसी द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार महामारी के दौरान लोगों की मदद करने और समुदाय और धर्म की परवाह किए बिना कोविड -19 पीड़ितों का अंतिम संस्कार करने के लिए संगठन ने तिरुपति यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन के तहत COVID-19 जॉइन्ट एक्शन कमेटी (JAC) की स्थापना की है.

तब्लीगी जमात के सक्रिय सदस्य जेएमडी गौस ने कहा कि पिछले साल उन्हें महामारी के लिए दोषी ठहराया गया था लेकिन अब लोग उनके प्रयासों की सराहना कर रहे हैं. महामारी की दूसरी लहर देश भर में तबाही मचा रही है. लोग बेड, ऑक्सीजन और दवाओं के लिए तरस रहे हैं. कोविड -19 पीड़ितों की मौतों में भारी वृद्धि के चलते श्मशान घाटों पर भी बोझ बढ़ गया है.संकट की ऐसी घड़ी में, तब्लीगी जमात कोविड -19 पीड़ितों के सम्मानजनक अंतिम संस्कार में मदद करने के लिए आगे आया है. गौस ने कहा कि वह फोन पर मिलने वाले इनपुट्स और रिक्वेस्ट के आधार पर हर रोज 60 वॉलंटियर्स के साथ कोआर्डिनेट करते हैं. उन्होंने कहा कि वे पिछले एक महीने से रोजाना कम से कम 15 शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. गौस ने कहा- पहली लहर में बहुत कम मौतें होती थीं जिनमें ज्यादातर बूढ़े लोग थे, लेकिन अब युवा भी मर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘अंतिम संस्कार करने से पहले लोगों को समझाने या उन्हें सांत्वना देना कठिन हो जाता है.’ गौस ने कहा कि 60 सदस्यों को तीन टीमों में बांटा गया है. प्रत्येक टीम को कम से कम चार-पांच शव सौंपे जाते हैं. उन्होंने कहा कि वे धार्मिक परंपराओं के आधार पर अंतिम संस्कार करते हैं.