कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे पहले उसने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम प्रस्तावित किया था। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि 2017 में तृणमूल ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रणब मुखर्जी, नजमा हेपतुल्ला और द्रौपदी मुर्मू का नाम बतौर उम्मीदवार प्रस्तावित किया था। इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा गया था। गौर करने वाली बात यह कि 2012 में संप्रग ने जब राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रणब मुखर्जी को अपना प्रत्याशी बनाया था, तब शुरू में बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था लेकिन विरोधी दलों का साथ नहीं मिलने के कारण अंतत: उन्हें प्रणब का समर्थन करना पड़ा था। उसके बाद 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल ने खुद से प्रणब का नाम प्रस्तावित किया था। घोष का कहना है कि प्रणब के साथ द्रौपदी मुर्मू और नजमा हेपतुल्ला का भी नाम प्रस्तावित किया गया था।
सियासी विश्लेषक इसे तृणमूल की बंगाल में वास करने वाले आदिवासी समुदाय को अपने साथ बनाए रखने की कवायद बता रहे हैं। उनका कहना है कि राजग की तरफ से आदिवासी समुदाय की प्रतिनिधि को राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी बनाने से इस वर्ग का रुझान भाजपा की तरफ न चला जाए, इसे देखते हुए तृणमूल की तरफ से इस तरह का बयान देकर यह जतलाने की कोशिश की जा रही है कि राष्ट्रपति के पद पर आदिवासी समुदाय से किसी को आसीन करने के बारे में सबसे पहले उसी ने सोचा था। बंगाल में 16 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, वहीं लोकसभा में 47 सीटें इस समुदाय के लिए हैं।