नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस में लोकसभा की तीन सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर अंतर्कलह खुलकर सामने आ रहा है। पहले जहां कन्हैया कुमार को लेकर संदीप दीक्षित के बीच नोकझोंक देखने को मिली थी। वहीं अब उदित राज को लेकर पार्टी के अंदर विरोध हो रहा है। इसी बीच सोमवार को दिल्ली से कांग्रेस के तीनों उम्मीदवारों को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी, लेकिन बाहर पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की।
इससे पहले, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि आज हमारे तीनों प्रत्याशी यहां उपस्थित हैं। हमें उम्मीद है कि हम सभी सीटें जीतेंगे। दिल्ली की जनता बीजेपी सांसदों के रवैये से व्यथित हो चुकी है, इसलिए इस बार आप और कांग्रेस ने गठबंधन कर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
चांदनी चौक से प्रत्याशी जयप्रकाश अग्रवाल
मुझे 10वीं बार पार्टी ने मौका दिया है। चांदनी चौक दिल्ली का दिल है। हर मतदाता से मेरे निजी संबंध हैं। जबकि भाजपा सांसद ने कभी वहां नियमित जाने की प्रवृत्ति भी विकसित नहीं की। वहां अनेक समस्याएं हैं, जिनका कभी समाधान नहीं निकला। मैं सभी समस्याओं के लिए लड़ूंगा।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उदित राज
मैं इस सीट से पहले भी सांसद रहा हूं। कुछ काम करवाए, लेकिन बहुत से काम के प्रस्ताव पास करवा देने के बाद भी नहीं हो पाए। इस क्षेत्र के लोग देहातवासी होने की सजा भुगत रहे हैं। एमपी से हटने के बाद भी मैं क्षेत्र में सक्रिय रहा। अब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के विजन पर काम करेंगे।
उत्तर पूर्वी दिल्ली से प्रत्याशी कन्हैया कुमार
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद। हम देश में I.N.D.I.A. उम्मीदवार के तौर पर 543 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। आज देश में असमानता बढ़ती जा रही है। गरीबी बढ़ रही है। यूपीए सरकार के काम रोक दिए गए। कल हम सभी को जवाब देना होगा कि जब भाजपा सरकार इलेक्टोरल बाॉन्ड के नाम पर चंदा वसूल रही थी तो हम क्या कर रहे थे। हम सभी सीटों के लिए सकारात्मक एजेंडा रखते हैं। इस एजेंडे में हर वर्ग का ख्याल रखा गया है।
उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी इधर-उधर की बातें किए बिना सिर्फ यह बता दें कि उन्होंने 10 साल में किया क्या है? हम इस क्षेत्र की जनता के बीच जाएंगे और उनकी समस्याएं दूर करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिस लोकतंत्र ने पीएम बनाया, उसी का वह सम्मान नहीं करते। खुद को सम्राट समझते हैं। संविधान बदलना चाहते हैं। न उनके पास रोजगार के मुद्दे पर जवाब है, न महिलाओं के सम्मान पर कुछ बोल पाते हैं। क्योंकि वो प्रेस वार्ता नहीं करते तो उनसे कोई सवाल भी नहीं पूछ सकते।