नई दिल्ली। (Delhi Yamuna Pollution) दिल्ली में मृतप्राय: यमुना में भी लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के मद्देनजर अब इस दिशा में 24 घंटे निगरानी की जाएगी। यमुना की सफाई को लेकर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने नदी में गिरने वाले नालों की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग का टेंडर नोटिस निकाला है। दो दिन पहले ही निकाले गए इस टेंडर नोटिस में विशेषज्ञ फर्मों से 28 अगस्त तक प्रस्ताव मांगे गए हैं।
गौरतलब है कि यमनोत्री से प्रयागराज तक बहने वाली यमुना का दिल्ली में केवल दो प्रतिशत हिस्सा है। लेकिन यमुना का 75 प्रतिशत से अधिक प्रदूषण भी यहीं है। इसकी एक प्रमुख वजह इसमें गिर रहे 122 नाले हैं, जिनमें से 22 बड़े नाले हैं।
नालों का सीवरेज यमुना को कर रहा बदहाल
बताया जाता है कि पानीपत और सोनीपत से आ रहे औद्योगिक कचरे के अलावा इस नालों का सीवरेज भी यमुना को बदहाल कर रहा है। समस्या यह है कि यमुना की सफाई को लेकर जब भी कोई कार्ययोजना बनती है तो यही पता करना मुश्किल हो जाता है कि ज्यादा प्रदूषक तत्व कहां से आ रहे हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए नालों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करने की योजना बनाई गई है।
10 अलग-अलग जगह होगी ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित
डीपीसीसी अधिकारियों के मुताबिक ऑनलाइन मॉनिटरिंग का यह निर्णय 20 फरवरी को बोर्ड बैठक में हुआ था। अनुरोध प्रस्ताव करने के बाद अब विशेषज्ञ एजेंसी का चयन करके उसके साथ पांच वर्ष का अनुबंध किया जाएगा। यह फर्म यमुना में गिरने वाले नालों पर 10 अलग-अलग जगह ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित करेगी।
इस सिस्टम के जरिये जांचा जाएगा कि यमुना में सर्वाधिक प्रदूषण किस हिस्से में और किन कारकों से है। यह भी पता किया जाएगा कि ज्यादा प्रदूषक तत्व कहां से आ रहे हैं। इसके बाद ही यमुना की साफ सफाई को लेकर कोई पुख्ता कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
डीपीसीसी के सदस्य सचिव द्वारा निकाले गए टेंडर नोटिस के मुताबिक नालों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए सिस्टम लगाने के साथ साथ उसके रख- रखाव का जिम्मा भी विशेषज्ञ एजेंसी का ही होगा। एजेंसी चयन के बाद उसके साथ बाकायदा एक एमओयू भी साइन किया जाएगा।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यमुना में झाग बनने की समस्या को लेकर भी अलग से एक अध्ययन कराया जा रहा है। इसका दायित्व द एनर्जी रिसोर्स इंस्टीटयूट (टेरी) को दिया गया है। इसकी रिपोर्ट आने में अभी समय लगेगा।