मुख्य पीठ ने ट्रस्ट को 30 दिनों के भीतर जुर्माना धनराशि(Penalty Amount) आर्मी वार विडो फंड(Army War Widow Fund) में जमा कराने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि 30 दिनों के भीतर राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो एसडीएम साकेत धनराशि(SDM Saket) की वसूली करेगा और इसे सेना युद्ध विधवा कोष में स्थानांतरित कर देगा।
वहीं, रजिस्ट्रार जनरल इस न्यायालय के आदेश के अनुसार वसूली की निगरानी करेंगे। याचिकाकर्ता को दो सितंबर 2022 को इस संबंध में अनुपालन की रिपोर्ट करने के लिए रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश होना होगा। पीठ ने कहा कि एनजीओ सही उद्देश्य के साथ अदालत नहीं आया था और याचिका कुछ और नहीं बल्कि जनहित याचिका(PIL) के सिद्धांत का सरासर दुरुपयोग है।उक्त टिप्पणी के साथ पीठ ने जनहित याचिका खारिज(PIL Dismiss) कर दी।
यह है मामला
ट्रस्ट ने नेब सराय में अनधिकृत निर्माण के खिलाफ याचिका दायर कर कहा था कि उनके कई अभ्यावेदन देने के बावजूद भी अधिकारियों द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। वहीं, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी, MCD) के अधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता एनजीओ वास्तव में बिल्डरों और अन्य लोगों को ब्लैकमेल(Blackmail) करने में शामिल है।
उन्होंने कहा कि इसी याचिकाकर्ता ने पहले भी एक याचिका दायर कर दो जून 2022 को मामला उठाया गया था। उस मामले में भी अदालत जुर्माना लगाना चाहती थी, लेकिन याचिका वापस लेने की अनुमति की मांग करने पर अदालत ने राहत जुर्माना नहीं लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के जनता दल बनाम एचएस चौधरी के निर्णय का हवाला देते हुए मुख्य पीठ ने कहा कि जनहित याचिका के नए विकसित सिद्धांत के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।